Khwab Jinke Unche Aur Mast Hote hian, Imtehaan bhi Unke Jabardast Hote hian | ख्व़ाब जिनके ऊँचे और मस्त होते हैं, इम्तेहान भी उनके ज़बरदस्त होते हैं

आज सुबह अखबार में एक ख़बर पढ़ कर बहुत ही दुःख हुआ | एक आदमी ने अपने पुरे परिवार को मार कर ख़ुद की भी जान दे दी | उसकी ज़िन्दगी का क्या दर्द था ये तो वही जाने पर मैं अब तक ये समझ नहीं पा रहा हूँ की उसने यह क़दम किस मानसिक स्थिति में उठाया होगा | उसने अपने साथ-साथ परिवार के चार और सदस्यों की भी जान ले ली, मतलब उस आदमी की नज़र में जिंदगी का कोई मोल ही नहीं था | साथ ही यह घटना हमारे समाज के बहुत ही भयावह सच को भी उजागर करती है की क्या वाकई में हम एक दुसरे के लिए एक इंसान होने के सारे कर्तव्य निभा रहे है ? आज एक छोटी सी कहानी आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूँ | शायद इस कहानी को पढ़ कर आपको भी अपनी ज़िन्दगी की कीमत का आंकलन करने में मदद मिले | तो आइये जानिए इस कहानी के बारे में –

एक बार एक आदमी अपने घर पे बैठ कर भगवान् की पूजा और ध्यान कर रहा था | भगवान् की पूजा तो वो कर रहा था, पर मन ही मन भगवान् से शिकायत भी कर रहा था अपने जीवन को लेकर कि – हे भगवान् ! ये कैसी ज़िन्दगी दी है मुझे, जो भी करने जाता हूँ उसमे कोई सफ़लता नहीं मिलती, कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है मेरे साथ | हर तरफ से सिर्फ निराशा ही हाथ लग रही है | इससे अच्छा तो यही है की मुझे अपने पास बुला लो ! उस आदमी के मन में यही सब चल रहा था और वो अपनी ज़िन्दगी को और भगवान् को कोस रहा था की अचानक भगवान् उसके सामने प्रकट हो गए और उसके कंधे पर अपना हाथ रखा | वो आदमी चौंक गया बिल्कुल आश्चर्यचकित हो गया | भगवान् उसे समझाने लगे – डरों मत मैं भगवान् ही हूँ अभी तुम मुझे इतना कोस रहे थे मुझसे शिकायत कर रहे थे तो मैंने सोचा तुम्हारे सामने आकर ही तुम्हारी समस्या सुन लूँ और सुलझा दूँ | ये सुन का वो आदमी भगवान् को प्रणाम कर वही सब बातें कहने लगा और आखिर में भगवान् से सवाल किया की – मेरे इस जीवन की कीमत क्या है ? उसकी ये बात सुन कर भगवान् मुस्कुराये और उसे एक चमकीला लाल पत्थर दिया और बोले – मैं तुम्हे तुम्हारी जीवन की कीमत ज़रूर बताऊंगा पर पहले जाओ और जाकर बाज़ार में इस लाल पत्थर की कीमत पता करके आओ, लेकिन याद रखना इसे बेचना मत कीमत जान कर मेरे पास वापस आना फिर मैं तुम्हे तुम्हारे सवाल का ज़वाब दूंगा |

भगवान् के मुख से ये बातें सुनकर वो आदमी लाल चमकीला पत्थर लेकर बाज़ार में निकल गया क्यूंकि उसके पास और कोई विकल्प था भी नहीं | सबसे पहले वो आदमी उस पत्थर को लेकर एक फ़ल वाले के पास गया और उसे पत्थर दिखा कर उससे पूछा – भैया ये देखो ये लाल पत्थर आप खरीदना चाहोगे ? फ़ल वाले ने पत्थर देख कर बोला – खरीद लेंगे लेकिन 10 किलो आम से ज़्यादा नहीं दे पायेंगे आपको ठीक लगे तो देदो नहीं तो आगे बढ़ो | उसके बाद वो आदमी एक सब्जी बेचने वाले के पास गया उससे भी वही सवाल पुछा, सब्जी वाले ने उसे कहा – पत्थर तो ले लेंगे लेकिन 1 बोरी आलू ही देंगे इसके बदले में देना है तो दो नहीं तो आगे बढ़ो | ऐसे ही घूमते हुए शाम होने लगी उसे एक सोनार की दुकान दिखी उस आदमी ने सोचा शायद यहाँ पर इस पत्थर की सहीं कीमत मिल जाए और वो दूकान के अन्दर चला गया | दूकान के मालिक को उसने वो पत्थर दिखा कर पूछा – ये लाल पत्थर क्या आप खरीदोगे ? और अगर खरीदोगे तो कितने में खरीदोगे ? सोनार ने जब वो पत्थर देखा तो उसकी आँखों में चमक आगई | उसने उस आदमी को बोला की – आप ये पत्थर मुझे 50 लाख रुपयों में दे दीजिये इससे ज़्यादा तो नहीं दे पाऊंगा | सोनार की बात सुन कर आदमी चौंक गया उसने सोचा – इस लाल पत्थर को थोड़ी देर पहले कोई 10 किलो आम में ख़रीद रहा था तो कोई 1 बोरी आलू में खरीद रहा था, उस पत्थर का ये सोनार 50 लाख देने को तैयार हो गया | इस आदमी ने सोनार से कहाँ – मैं ये पत्थर आपको बेचूंगा तो नहीं ! सोनार को लगा की शायद वो आदमी मोल-भाव करना चाह रहा है तो उसने उस आदमी को कहा – चलो ठीक है भाई न आपकी न मेरी आप मुझे 1 करोड़ रूपए में ये पत्थर देदो, आपका भला होगा भगवान् आपको ढेर सारी खुशियां देगा | ये सुन कर वो आदमी और चौंक गया की इसने पत्थर की कीमत दोगुनी कर दी | लेकिन फिर भी उस आदमी ने पत्थर बेचने से माना कर दिया तो सोनार को गुस्सा आ गया और उसने उस आदमी को अपनी दूकान से बाहर निकाल दिया |

सबसे ज्यादा मायने रखता है उम्मीद | सभी अनुभवी लोगो क्यों बोले होंगे कि उम्मीद कि एक किरण ही काफी है | क्यों बोला गया होगा कि डूबता को तिनके कि सहारा काफी होता है | यही सबसे पहली चीज है जो कामयाबी कि ओर लेकर जाती है | कितनी भी…

अब इस आदमी को लगा की अगर सुनार इस पत्थर के 1 करोड़ देने को तैयार था मतलब कोई बात तो ज़रूर है इस पत्थर में, तो अब वो उस पत्थर को ले कर हीरे के व्यापारी के पास गया | हीरे के व्यापारी के पास जाकर उस आदमी ने उसे ये पत्थर दिखा कर पूछा – भाई ये लाल चमकदार पत्थर क्या आप खरीदोगे ? और अगर खरीदोगे तो कितने में खरीदोगे ? वो पत्थर देख कर हीरे के व्यापारी की आँखों में भी चमक आ गई और उसने इस आदमी से कहाँ – भाई ये आपको कहाँ मिला? ये तो इस दुनिया का सबसे अनमोल रत्न है, मेरे पास जितने पैसे है उतने पुरे भी दे दूँ तो भी इसकी सही कीमत नहीं दे पाऊंगा बल्कि इस दुनिया में कोई भी इसकी कीमत देकर इसे नहीं ख़रीद सकता | पर ये आपको दिया किसने ? तो उस आदमी ने बोला- ये तो मैं आपको नहीं बता सकता और इसे बेच भी नहीं सकता क्यूंकि जिसने दिया है उसने बेचने से मना किया है |

ये सब देखने और सुनने के बाद अब वो आदमी रुक न सका और दौड़ कर भगवान् के पास गया और उन्हें पूरी कहानी सुनाई की – भगवान् कोई इस लाल पत्थर को 10 किलो आम में ख़रीद रहा है, तो कोई इसे 1 बोरी आलू में खरीद रहा है, तो कोई इसे अनमोल बता रहा है, तो अब आप मुझे बताओ की मेरी ज़िन्दगी की कीमत क्या है? तब भगवान् ने उससे कहाँ – मैं यही तो तुझे समझाना चाह रहा था की तेरी ज़िन्दगी इस लाल पत्थर की तरह ही है, और इसकी कीमत हर किसी के लिए अलग है, किसी के लिए 10 किलो आम के बराबर है, किसी के लिए 1 बोरी आलू के बराबर है, तो किसी के लिए अनमोल रत्न के बराबर है | तो अब ये तुझ पर है की तू सहीं व्यक्ति की तलाश कर जो तुझे सहीं राह दिखा सके, सहीं अवसर दे और तू कमाल करके दिखाए |

ये छोटी सी कहानी हमे ज़िन्दगी में बहुत बड़ी बात सिखाती है कि, हमे अपने आप पे और अपनी काबिलियत पर भरोसा रखना चाहिए और धीरज के साथ सही अवसर का इंतज़ार करना चाहिए जिससे की हम अपने जीवन में कमाल करके दिखा सकें |

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