क्या आप अपने काम से खुश हैं ? मेरे प्रश्न के उत्तर का आप कैसे आंकलन कर सकते हैं- जब भी आप कोई कार्य करते हैं और उसमें आपको मजा आता है, तब आप खुश हैं, और आपको लगता है कि ये मज़बूरी है तो आप बिलकुल भी खुश नहीं हैं | चलिए पहले आज आपको एक कहानी बताता हूँ, हालाँकि ये कहानी आप पहले भी सुनें या पढ़ें होंगे, अगर आपको पता है तो चलो मेरे लेख में और पढ़ लो, मुझे लगता है मजा ही आयेगा, क्योंकि नया सिखने में मज़ा ही आता है |
एक ऊंटनी रहती है, और उसका एक बच्चा रहता है , एक दिन उन दोनों माँ – बेटे में बातचीत होती है :
बच्चा : माँ ! हमारी आँखों कि पलके इतनी बड़ी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होती है , तो जब भी आंधी तूफ़ान आता है तो उससे बचने के लिए कुदरत ने हमारी आँखे ऐसे बनाई है |
बच्चा : माँ ! हमारी पैर इतनी मोटे क्यों हैं ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होता है, तो जब बहुत धुप होती है तो रेत गरम हो जाती है, और जब बहुत ठण्ड पड़ती है तब रेत बहुत ठंडी हो जाती है, जिसके कारण कुदरत ने हमारी पैर इतने मोटे बनाये हैं, जिससे हमे ठंडा ये गर्म का एहसास नहीं होता |
बच्चा : माँ ! हमारी पीठ इतनी बड़ी और ऊँची अजीब सी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, कई बार हमको बहुत दूर तक चलना होता है, और पीने को पानी नहीं मिलता है, तो हम पानी को वहाँ पर जमा कर के रख सकते हैं, इसलिए कुदरत ने हमारी पीठ ऐसे बनाई है |
बच्चा अपने प्रश्नों के उत्तर पाकर संतुष्ट होकर सो जाता है |
दुसरे दिन सुबह उठते ही बच्चा फिर अपनी माँ से प्रश्न करता है !! और वह आराम से फिर से उत्तर देती है:
बच्चा : माँ ! हमारी आँखों कि पलके इतनी बड़ी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होती है , तो जब भी आंधी तूफ़ान आता है तो उससे बचने के लिए कुदरत ने हमारी आँखे ऐसे बनाई है |
बच्चा : माँ ! हमारी पैर इतनी मोटे क्यों हैं ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होता है, तो जब बहुत धुप होती है तो रेत गरम हो जाती है, और जब बहुत ठण्ड पड़ती है तब रेत बहुत ठंडी हो जाती है, जिसके कारण कुदरत ने हमारी पैर इतने मोटे बनाये हैं, जिससे हमे ठंडा ये गर्म का एहसास नहीं होता |
बच्चा : माँ ! हमारी पीठ इतनी बड़ी और ऊँची अजीब सी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, कई बार हमको बहुत दूर तक चलना होता है, और पीने को पानी नहीं मिलता है, तो हम पानी को वहाँ पर जमा कर के रख सकते हैं, इसलिए कुदरत ने हमारी पीठ ऐसे बनाई है |
बच्चा अपने प्रश्नों के उत्तर पाकर संतुष्ट होकर सो जाता है |
तीसरे दिन सुबह उठते ही बच्चा फिर अपनी माँ से प्रश्न करता है !! और वह इस बार थोड़ा कंझाते हुए उत्तर देती है :
बच्चा : माँ ! हमारी आँखों कि पलके इतनी बड़ी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होती है , तो जब भी आंधी तूफ़ान आता है तो उससे बचने के लिए कुदरत ने हमारी आँखे ऐसे बनाई है |
बच्चा : माँ ! हमारी पैर इतनी मोटे क्यों हैं ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होता है, तो जब बहुत धुप होती है तो रेत गरम हो जाती है, और जब बहुत ठण्ड पड़ती है तब रेत बहुत ठंडी हो जाती है, जिसके कारण कुदरत ने हमारी पैर इतने मोटे बनाये हैं, जिससे हमे ठंडा ये गर्म का एहसास नहीं होता |
बच्चा : माँ ! हमारी पीठ इतनी बड़ी और ऊँची अजीब सी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, कई बार हमको बहुत दूर तक चलना होता है, और पीने को पानी नहीं मिलता है, तो हम पानी को वहाँ पर जमा कर के रख सकते हैं, इसलिए कुदरत ने हमारी पीठ ऐसे बनाई है |
बच्चा अपने प्रश्नों के उत्तर पाकर संतुष्ट होकर सो जाता है |
चौथे दिन सुबह उठते ही बच्चा फिर अपनी माँ से प्रश्न करता है !! और वह इस बार गुस्सा होकर बोलती है, मैं तुझे पिछले तीन दिन से बस इन्ही प्रश्नों के उत्तर दे रही हूँ, तू रोज भूल जाता है | आखिरी बार बता रही हूँ, ढंग से सुन लेना :
बच्चा : माँ ! हमारी आँखों कि पलके इतनी बड़ी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होती है , तो जब भी आंधी तूफ़ान आता है तो उससे बचने के लिए कुदरत ने हमारी आँखे ऐसे बनाई है |
बच्चा : माँ ! हमारी पैर इतनी मोटे क्यों हैं ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, वहा पर रेत बहुत ज्यादा होता है, तो जब बहुत धुप होती है तो रेत गरम हो जाती है, और जब बहुत ठण्ड पड़ती है तब रेत बहुत ठंडी हो जाती है, जिसके कारण कुदरत ने हमारी पैर इतने मोटे बनाये हैं, जिससे हमे ठंडा ये गर्म का एहसास नहीं होता |
बच्चा : माँ ! हमारी पीठ इतनी बड़ी और ऊँची अजीब सी क्यों है ?
माँ : बेटा ! हम रेगिस्तान के जानवर हैं ना, कई बार हमको बहुत दूर तक चलना होता है, और पीने को पानी नहीं मिलता है, तो हम पानी को वहाँ पर जमा कर के रख सकते हैं, इसलिए कुदरत ने हमारी पीठ ऐसे बनाई है |
इस बार बच्चा भी जवाब सुनने के बाद बहुत जोर से चिल्लाते हुए कहता है कि माँ !!! जब हम रेगिस्तान के जानवर हैं तो रेगिस्तान में क्यों नहीं हैं ? ये चिड़ियाघर में क्या कर रहे हैं ??
माँ के पास कोई जवाब नहीं होता है |
ठीक उसी तरह आप खुद देखिये और सोचिये अगर आप कहीं नौकरी करते हैं तो क्या आप भी जैसे सोमवार आता है, तब एक हिंदी फिल्म आई थी उसका एक गाना “खून चूसने रे आया खून चूसने मंडे….” गुनगुनाते हुए तो ऑफिस नहीं जाते | अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको ध्यान देने कि जरुरत है, क्योंकि आप किसी और चीज के लिए बनाये गए हो और फंस कही और गए हो, तो आप भी चिड़ियाघर में हो, क्योंकि जो कैद रहता है, वह कभी खुश नहीं हो सकता | आप अपने आप से सवाल पूछो कि क्या आप इसी के लिए बने हो ? और आपको आपसे ही जवाब मिलता है कि हाँ !! तो आप भी अपने काम से प्यार करना सीख लीजिये अन्यथा आप जिससे प्यार करते हैं उसको अपना काम बना लो | इसका मतलब ये भी नहीं है कि आप जो कर रहे हैं उसको अभी के अभी छोड़ दो, लेकिन अगर छोड़ नहीं सकते तो आप जिससे प्यार करते हैं, जिस काम में आपको मजा आता है, दिन में कम से कम आधा – एक घंटे ही देना शुरू कर दीजिये, जिससे आपको खुशी मिलेगी और आपको मजा भी आयेगा | जहा पर काम में मजा नहीं आता वहा आप कामयाब तो बिलकुल नहीं हो सकते हैं | प्रायः सभी यह सोचते हैं कि जीवन की सबसे बड़ी दुर्घटना मौत है, लेकिन शायद उससे भी बड़ी दुर्घटना है, आपकी ख़ुशी का मरना, जिसमे आपको मजा आता है उस शौक को मार देना |
आपको जिस काम में मजा आता है, वह काम करते हैं तो भले ही कम पैसे क्यों न मिले लेकिन संतुष्टि, स्वस्थ और खुश ज्यादा रहेगे साथ ही आप कभी सन्डे का इन्तजार करते नहीं बैठे रहेंगे होते, हल पल को एन्जॉय करते हैं | लेकिन जो काम अभी कर रहे हैं पैसा अधिक मिलता हो लेकिन मजा नहीं आ रहा है , बंधन में हैं तो आप कभी भी खुश, संतुष्ट और स्वस्थ नहीं हो सकते | जिन्दगी में सबसे ज्यादा मायने रखता है, खुश रहना और स्वस्थ रहना, वह ही नहीं रहा तो काम किस काम का | आप जब रेलगाड़ी, बस में जिस भीड़ का सामना करते हैं, तो बहुत परेशान होते हैं और बहुत गुस्सा आता है , लेकिन वही भीड़ आपको डिस्को में या कोई गेट-टूगेदर में मिलती है तो कितना मज़ा आता है | आप अपने टैलेंट को पहचानिए, और चिड़ियाघर से निकलिए | ख़ुशी आपके पास ही है, बस खुश होना आना चाहिए |
प्रिय आगंतुक आपने हमारा लेख पढ़ा, उसके लिए आपको दिल से धन्यवाद् | आपको कैसा लगा फीडबैक निचे दिए गए कमेंट्स सेक्शन में जाकर जरुर देंवे ताकि हमें अपना गुणवत्ता समझने में सहायता हो |
खुश रहने के लिए हमें क्या करना चाहिए? | Khush Rahne Ke Liye Humein Kya Karna Chahiye?9 thoughts on “”
Bahut hi badhiya lekh hai sir ji.
Tale laga diye dil ko, Chhodo aab usko baat nahi……
tum sath ho tab main khush hoon. Intjaar………..
Jo khud ko achchha lage wo karein
Bahut achchha hai Sir
thanx
Bahut achche
thanks
Very nice 👍
thanx