हर वो शख्स जिससे आपको चिढ़ होती है या तकलीफ़ होती है, वो इतनी ताकत तो रखता है की आपको कुछ न कुछ तो सीखा सकता है | आइये एक कहानी से इस बात को समझने की कोशिश करते है | ये कहानी है दो दोस्तों की अनिल और सुनील | दोनों ने साथ ग्रेजुएशन किया था और ग्रेजुएशन के बाद साथ में एक ही कंपनी में नौकरी भी लग गई थी | उनकी कंपनी पैक्ड फ्रूट जूस बनाने का काम करती थी | दोनों ने काम साथ में शुरु तो किया लेकिन काम में आगे बढ़ने की रफ़्तार दोनों की एक नहीं थी | अनिल को कंपनी में बहुत पूछ परख मिलती थी, उसके काम को काफी पसंद किया जाता था | ऐसा लगने लगा था की बॉस का फेवरेट बनता जा रहा था अनिल लेकिन सुनील के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था |
इसी बीच काम शुरु करने के दो साल के बाद वो दिन भी आया जब बॉस ने अनिल को अपने कैबिन में बुला कर उसकी और उसके काम की काफ़ी सराहना की और सिर्फ सराहना ही नहीं की बल्कि उसे प्रमोशन लैटर भी दिया| बस उस दिन सुनील को बहुत बुरा लगा अपने ही दोस्त के लिए उसके मन में आग लग गई | उसके मन में ये बात आने लगी की इस कंपनी में तो मेहनत करने वालों की कोई कद्र ही नहीं है, मेरे काम की तो कोई वैल्यू ही नहीं करते ये लोग | लेकिन कोई और आप्शन नहीं था तो उसी कंपनी में काम कर रहा था | धीरे-धीरे अनिल के प्रति उसकी दुर्भावनाए बढ़ने लगी और साथ काम करना बहुत मुश्किल हो गया था | फिर एक दिन सुनील से और बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और resignation letter लेकर बॉस के पास गया | सुनील इतनी बुरी तरह से आहात था की Resignation letter देते वक़्त उसने अपने बॉस को बोला – मुझे अब यहाँ काम नहीं करना क्यूंकि आप लोगों को मेहनत करने वालों की कोई क़द्र नहीं है, यहाँ पर favoritism पे लोगों को आगे बढाया जाता है | कोई भी मेहनत करने वाला इंसान ये बर्दाश्त नहीं कर सकता | बॉस उसकी सारी बात सुन रहे थे और समझ भी रहे थे की, सुनील के दिल और दिमाग में क्या चल रहा था | क्यूंकि वो ये बात जानते थे की सुनील वाकई में मेहनती इंसान है काफ़ी मेहनत करता है, बल्कि कई बार अनिल से भी ज्यादा मेहनत करता है | इसलिए वो उसे समझाना चाहते थे, ताकि सुनील उस ऑफिस से कोई गलतफैमी के साथ न जाए |
बॉस ने सुनील से कहाँ – ठीक है तुम जाना चाहते हो तो कोई बात नहीं पर जाने से पहले मेरा एक काम करो, जाओ जाकर पता करके आओ की इस शहर में तरबूज कौन बेचता है | सुनील ने सोचा ठीक है बॉस बोल रहे है तो कर देता हूँ, वो गया और पता करके आया और आकर बॉस को बताया की शहर के एक चौराहे पे एक आदमी है जो तरबूज़ बेचता है | बॉस ने फिर उससे पूछा – किस भाव में बेच रहा है ? सुनील फिर गया और फिर पता करके आया और बॉस को बताया की 13.5 Rs प्रति किलो के हिसाब से बेच रहा है | अब बॉस ने सुनील से कहाँ अब यही काम हम अनिल को देते है, सुनील की मौजूदगी में वही काम अनिल को दिया गया | अनिल को बुला कर बॉस ने से कहा – क्या तुम पता करके आ सकते हो की इस शहर में तरबूज़ कौन बेचता है | अनिल कहाँ – बिल्कुल सर ! और तुरंत वहां से उठ कर चला गया और जब वापस आया तो पुरे एक प्रेजेंटेशन के साथ | अनिल ने फिर बॉस को बताना शुरु किया की – सर शहर में सिर्फ एक तरबूज़ का सेलर है और वो 13.5 Rs प्रति किलो के हिसाब से तरबूज़ बेचता है | उसके पास बहुत ही बढ़िया क्वालिटी के तरबूज़ है | हर एक तरबूज़ का भाव उसे पड़ता है तक़रीबन 42 रूपए और आधे तरबूज़ का भाव उसे पड़ता है तक़रीबन 27 रूपए | उसके पास एक फार्म है जिसमें ४ महीने की पूर्ति करने के बराबर तरबूज़ अभी बाकी है | मैंने उससे बात करली है अगर हमारी कंपनी उससे डील करती है तो वो हमे अगले ४ महीने तक 38 Rs प्रति किलो के हिसाब से तरबूज़ दे देगा और उसका एक तरबूज़ करीब 7 किलो का होगा | सर हमे इसके साथ डील ज़रूर कर लेनी चाहिए क्यूंकि अगर हम इससे डील करते है तो हमारी कंपनी का मुनाफा पिछले साल की तुलना में 3.78% ज़्यादा होगा | ये सब कुछ सुन कर सिर्फ बॉस ही नहीं बल्कि सुनील भी अनिल से बहुत प्रभावित हुआ | अब सुनील को समझ आने लगा की अनिल और उसमे क्या फर्क है | इसलिए उसने ये निर्णय लिया की अब वो उस कंपनी से नौकरी छोड़ कर नहीं जायेगा और वहीँ रह कर अनिल से बहुत कुछ सीखेगा |
हम सब भी कहीं न कहीं यही करते है, जब भी अपने आस-पास किसी की तरक्की और सराहना होते हुए देखते है तो बिना ये सोचे या समझे की सामने वाला हमसे क्या और कैसे बेहतर कर रहा है, हम उनसे जलने लगते है | ये ध्यान रखिये की आप क्या कर रहे है ये ज़रूरी नहीं है आप उस काम को ‘कैसे’ कर रहे है ये ज़रूरी है | ज़रूरी नहीं है की हर काम में खूब मेहनत करें पसीना बहाए, हो सकता है की थोड़े से स्मार्ट वर्क से आप कहीं बेहतर नतीजे दे पाए |ये मैं खुद भी अपने विश्वास और तजुर्बे से बोल सकता हूँ की दुनिया में हर वो इन्सान जिसके काम की सराहना की जा रही है उनके काम करने के तरीके में कोई तो ख़ास बात है जो उन्हें तरक्की और सराहना मिल रही है |
तो क्यूँ न हम उनसे जलने और उनकी बुराई करने के बजाए उनसे कुछ सीखें, पूरा न सहीं तो थोडा बहुत ही उनसे सीख लें तो हम भी तरक्की की राह में आगे बढ़ सकते है और जीवन में कुछ नया सीख सकते है | अगर हम अपने से आगे बढ़ने वालों के लिए इस तरह की पॉजिटिव सोच रखेंगे तो और कुछ न सहीं तो मानसिक सुकून और शांति तो हमे जरुर मिलेगी|
Smart Work and Hard Work | स्मार्ट वर्क एन्ड हार्ड वर्क11 thoughts on “”
Very good
thanx
Super 👌👌
thanx
Very nice article 👍
Really a great learning
A Very good article
thanx
Are baap re aayodin ke baare me jyada janta to nahi tha, bas TV vigyapan me jitna pata tha utna hi pata tha
Thankyou
Very Nice Information
Thankyou