हमारा होना पिता के होने से है, यह एक ऐसी सच्चाई है जिसको आप मना नहीं कर सकते | हमारे देश के कल्चर को देखें तो तो घर में मुखिया पिता ही होता है, जिनसे सिर ऊँची कर के बात करना या बातों का जवाब देना बच्चों की सोच में बहुत बड़ी बातें हैं हुआ करती थी | एक ऐसे भी समय होता था जब पिता गुस्से से घुर के देखे तो पेंट ही गीली हो जाती थी | दुनिया के कठोर हकीकतों से जूझता हुआ पिता अपने बड़े होते हुए पुत्र को वह सब कुछ जल्द समझाने कि कोशिश करता है, जिसे जीने और समझने में बरसों लगे | अपने निजी जीवन के अनुभवों के कारण पिता कभी – कभी अपने दिल पर पत्थर रखकर आपके लिए कुछ ऐसे फैसले लिए होंगे, जो उस समय बहुत बुरा सा महसूस हुआ होगा | पिता के प्रेम में हकीकत का तीखापन होता है | कहते हैं मां पहली शिक्षक होतीं हैं, तो इस बात को भी नहीं ठुकरा सकते कि पिता भी कुलपति होता है | आप स्वयं सोचकर देखिये जिनको पिता का संरक्षण नहीं मिलता, उनको जीवन समझने में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता होगा | पिता भी किसी का पुत्र हैं, उनका भी माता – पिता, भाई, बहन और अनेकों रिश्ते हैं सबकी जिम्मेदारियें निभाते हुए वह अपने संतानों का प्रतिपूर्ति का प्राथमिकता ज्यादा होती है| संतानों के रक्षा हेतु दुनिया की कोई भी ताकत से लड़ने कि ताकत होती है | जैसे – जैसे हम बड़े होते जाते हैं, वैसे – वैसे पिता के दिए हुए शिक्षा का हर पल हमें सत्यता को साबित करते हुए आगे बढ़ाती है |
हाल के दशकों में देखें तो पिता वह पिता नहीं रह गया जो पहले घर का सबसे प्रमुख अधिकारी होता था, जैसे ही पिता के जूते बेटे के पैर में आ जाये, वैसे ही पुत्र, मित्र बन जाता है, जिससे बच्चों और पिता के रिश्तों की दूरियों में कमी आ गयी है | इसलिए पिता का परिभाषा ही बदल गया है, लेकिन फिर भी पिता अकेले पड़ते जा रहे हैं | बेटा कितना ही बड़ा क्यों न हो जाये, वह अपने पिता से बड़ा नहीं हो सकता क्योंकि वह यह शरीर अपने पिता से ही पाया है, शरीर का रिश्ता तो वही रहेगा, मन का रिश्ता भले ही बदल जाये | आप कितने ही ऊँचाइयों को छू लें, या कितना भी बड़े हो जाएँ लेकिन माता – पिता कि जरुरत हमेशा होती है, सामाजिक सुरक्षा और मान कि अनुभूति करवाता पिता अपने संतान का अपने जीवन भर रक्षा कवच होता है | इनके क्षत्र छाया में संतान सबसे सुरक्षित होता है | परिवार कि जिम्मेदारियों को निभाने और सदस्यों के आवश्यकताएं की पूर्ति के लिए पिता मरते खपते करता है | माता – पिता का त्याग को भले ही बच्चे भूल जायें लेकिन सच्चाई को आप नकार नहीं सकते हैं कि आज जो भी आप हैं सब उन्ही के बदौलत ये समाज में आप सम्मान पूर्वक जी रहे हैं | आपका पहचान क्या है ? आप कौन हो ? जब समाज पूछेगा तो आप क्या बताएँगे, अपना परिचय पत्र !! नहीं , आप अपने माता और पिता का नाम बताते हैं | यह वह पहचान है जो पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के नाम से चलाते हैं | आप कितना भी बड़े हो जाओ माता – पिता कि नज़रों में आप हमेसा वही छोटे बच्चे होते हो जो कभी घुटनों के बल चला करते थे | आपका जरा सा भी चोट को वो बर्दास्त नहीं कर पाते हैं | आपसे कितनी भी बड़ी गलती हो उनमे तुमको क्षमा कर आपके साथ चलने के उनका हाथ हमेशा आगे बढ़ा होता है | जैसे – जैसे हम बड़े होते हैं आधुनिकता के आधार पर हमारा सोच में बदलाव होते जाता है, लेकिन इसका कतई ये मतलब नहीं होता कि आपके माता – पिता आपको समझते नहीं, बहुत बार वे किसी कार्य को करने से रोकते हैं तो कहीं न कहीं उनका अपना अनुभव होता है, और हम झल्ला उठते हैं कि आप हमको समझते ही नहीं | फिर भी वे हमारे साथ अपने अंतिम सांसों तक उतना ही शक्ति और मजबूती के साथ आपके साथ खड़े रहते हैं |
जानें – अनजाने हम उनका कितना दिल दुखाते हैं, हमें पता ही नहीं चलता | बदले में उनको कुछ नहीं चाहिए होता है, केवल उनको थोडा सा प्यार और दो मीठे बोल के भूखे होते हैं | आज के दिनचर्या में हम इतने व्यस्त हो गये हैं कि जो पिता अपने संतानों के खुशी के लिए समय के मांग के आधार पर एक समय भूखे रहकर और एक जोड़ी कपडे में सालों गुजारकर, कभी कभी तो बीमार रहकर भी किसी को बिना बताये कम पे लौटकर इतनी अच्छी परवरिश कर लिए, उनके लिए चंद मिनिट का समय भी नहीं है | इसके बारे में गंभीरता से सोचना पड़ेगा, अभी तक अगर आपने ये गलतियाँ दोहराई है, तो किसी विशेष समय का इन्तजार मत करिये, आज ही जा के उनसे मिलें आशीर्वाद लें और गले मिले, आप स्वम् महसूस कर सकते हैं, असली स्वर्ग यही है , सभी दर्द खत्म हो जाते हैं |
पिता पुत्र का रिश्ता में कुछ अलग ही वजन होता है, जिसको बोलकर न पिता दिखाता और न ही बच्चे, माँ तो अपनी प्यार को जताने के लिए बच्चों को आई लव यू बोल भी देती है, और ये भी सच है कि माँ के लिए बहुत लिखा पढ़ा गया है, पिता के लिए बहुत ही कम लेख , कविता पढने सुनने को मिलता है, पिता को समर्पित एक कविता जो एक टेलीविजन में प्रदर्शित किया गया था |
पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है, पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है !
पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है, पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है !
पिता है तो प्रतिपल राग है, पिता से माँ की चूड़ी – बिंदी और सुहाग है !!
पिता है, तो बच्चों के सारे सपने अपने हैं, पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं !!
आई लव यू अम्मा–पापा !!!
प्रिय आगंतुक आपने हमारा लेख पढ़ा, उसके लिए आपको दिल से धन्यवाद् | आपको कैसा लगा फीडबैक निचे दिए गए कमेंट्स सेक्शन में जाकर जरुर देंवे ताकि हमें अपना गुणवत्ता समझने में सहायता हो |
पिता से है पहचान | Pita se hai Pehchan | Identity from father8 thoughts on “”
Very nice
Mast
Wonderful & emotional
Very nice 👍
Beautiful bhaiya and thank you you 🌹
Ankhe bhar aayi… bahut achca likhe hain.
thanx
बहुत ही इमोशनल लिखते हैं आप , कहा से हैं आइये न मेरे फेसबुक पे महक श्री नाम से हूँ
thanks