टाइटल को देखकर आपको लग रहा होगा कि यह लेख फिर से लॉ ऑफ़ अट्रेक्शन के ऊपर होगा, तो ऐसा नही है, ये उससे बहुत अलग है | आज हम बताएँगे की आपके Emotion कैसे आपकी लाइफ को बना सकते हैं | लेकिन सबसे पहले आपको जानना होगा कि Emotion क्या है ? कुछ लोगो का कहना है कि Emotion हमारा विचार है | जैसे कि- आप सोच रहे हैं कि आप किसी बहुत बड़ी जगह पर हैं, लाखों लोग बैठे हैं, और आप उनको कुछ बता रहे हैं या सीखा रहे हैं-यह आपका एक विचार है, Emotion नहीं है |
अब अगर आप अपने इस विचार के साथ अपनी फीलिंग्स को जोड़ दें तब एक सिचुएशन बनती है जिसको Emotion कहते हैं | जैसे कि हमने पहले ही उदहारण में बताया है कि आप कोई बड़े जगह पर हैं और आपके सामने लाखों कि तादाद में लोग बैठे हैं जिसमे आप उन सबको कुछ बता या सीखा रहे हैं साथ–साथ आपने इस चीज को महसूस किया, इसमें आपका विचार और फीलिंग्स को जोड़कर अपने जो महसूस किया तब वह Emotion कहलायेगा |
अब आपको बतात हूँ कि आखिर यह आपकी जिन्दगी कैसे बदलती है | कुछ उदाहरण के साथ आपको बताएँगे जिससे आपको यह बात समझ आएगी की आखिर आपके Emotion, आपकी जिन्दगी को कैसे बदलता सकते है | आप देखें की आप जो भी Emotional स्टेट में हैं, मतलब आपके दिमाग में कोई विचार आया और आप उसको महसूस किये तब आपकी Physiology ( फिजियोलॉजी) और Psychology ( सायकोलॉजी )दोनों बदल जाती हैं | मतलब आपका शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से बदल जाते हैं | जैसे अगर आप मानसिक रूप से बहुत थका हुआ महसूस कर रहे हैं तो आपका शरीर भी वैसे ही सुस्त और थका हुआ दिखेगा |
सामान्य बात है अगर आपके दिमाग में बहुत टेंशन है तो शारीरिक रूप से आप फिट नहीं दखाई देंगे | जैसे विचार होंगे शरीर भी वैसा ही हो जायेगा | उसी तरह यह भी है की जैसे शरीर होगा वैसे ही दिमाग होगा | जैसे Physiology ( फिजियोलॉजी) है वैसा Psychology (सायकोलॉजी )बन जाएगी और जैसे Psychology ( सायकोलॉजी )है वैसे ही Physiology ( फिजियोलॉजी) हो जाएगी | सारगर्भित बात यह है कि आपके Emotion आपके शरीर को एक प्रतिक्रिया देते है और जैसे ही दोनों की केमिस्ट्री बनती है, वैसा ही हम action लेना शुरू करते हैं |
दिमाग और शरीर जिस केमिस्ट्री में होंगे वैसे ही हमारे action होंगे | आपका दिमाग थका हुआ है, शरीर भी थक जायेगा | लेकिन दिमाग उर्जा से भरा हुआ है तो शरीर भी उतना ही फिट होगा | किसी ने ठीक ही कहा है जिन्दगी में चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, मैं जीत कर रहूँगा | अगर आप इस सोच को बरकरार रखते हैं तो हमेशा उर्जावान महसूस करने के साथ–साथ अपने मंजिल के नजदीक आते जायेंगे और इसी तरह आप अपनी मंजिल को फतह भी कर लेंगे |
मोटिवेशन ऐसे ही काम करता है, मोटिवेशन आपको एक Emotional स्टेट में लेकर जाता है जैसा आपने सोचा उसी से Correspondence में फीलिंग्स बनती है और जब तक वो फीलिंग रहेगी, आप शक्ति से भरा हुआ उर्जावान महसूस करेंगे |
आप खुद ये एनालिसिस करें, खुद से पूछिये कि आपके Emotions क्या है ? जब आप बीमार होते हैं तब जिस तरह एक डॉक्टर बोलता हैं कि दिन में तीन बार ये दवाइयां लेनी हैं और आप उसकी बात मन कर वो दवाई दिन में तीन बार लेते है | ठीक उसी तरह आप भी दिन में कम से कम पांच बार सोचे कि आखिर अभी आपका Emotion क्या है ?
आप जिस तरह का Emotion Generate करते हैं वैसे ही action लेते हैं | इसका सबसे बड़ा उदाहरण है – एक फिल्म आई थी बॉलीवुड में जो एक एथलीट के जीवन पर आधारित है ‘भाग मिल्खा भाग’, उसमे जब मिल्खा सिंह अपने past के बारे में सोचने लगते है की उनके परिवार के साथ क्या हुआ था, उनके साथ जीवन में और क्या–क्या हुआ, जब वह ऐसा सोचते हैं मतलब negative feelings ले आते हैं, तब वे उस स्टेज पर पहुँच जाते हैं और कोई भी रेस जीत नहीं पाते हैं | जहाँ पर उनके जीतने के बहुत ज्यादा उम्मीदें होती है वहा पर भी हार जाते थे |
ऐसा ही हर सामान्य इन्सान के साथ होता है | आपको यह जानना जरुरी है की आखिर आप कौन से Emotional स्टेट में हैं, अगर आप डाउन Emotional स्टेट में हैं तो आप हार जायेंगे | क्योंकि शरीर वही प्रतिक्रिया देती है जिस मानसिक स्थिति में आप हैं | उस फिल्म के आखरी रेस वाले सीन को याद कीजिये जिसमें विपक्षी टीम के कोच द्वारा कहा जाता है कि – ‘मिल्खा सिंह यह आपके जिन्दगी का आखिरी मैच भी हो सकता है’ तो उनका जवाब होता है – ‘दौडूंगा भी वैसे ही’ | यहाँ पर वे अपने past के बारे में सोच नहीं रहे हैं बल्कि अभी उनका मानसिक स्थिति ही कुछ और है अब वह ऐसे Emotion में होते हैं, और फील करते हैं कि पूरा ट्रक कहा और कैसे हैं, शुरुवात से आखिरी तक कैसे पहुचेंगे सभी वह Visualise करते हैं |
दिमागी रूप से वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार करते है की उस रेस को कैसे जीतना हैं और अपने target को कैसे पाना है | वहीँ से वे ‘फ्लाइंग सिख’ बन जाते हैं | उन्होंने अपना Psychology ( सायकोलॉजी ) को बदला जिससे उनके Physiology ( फिजियोलॉजी) में बदलाव आया | जैसे ही Psychology (सायकोलॉजी)और Physiology (फिजियोलॉजी) का केमिस्ट्री बैठता है वैसे ही action होता है, और उसी तरह का रिजल्ट आता है | हर रोज़ आप चेक लगाइए कि आपका Emotional स्टेट क्या है, और अगर आपका Emotional स्टेट डल है तो उसको तुरंत बदलिए | अगर आप अपना Emotion बदलते हैं तो यकीन मानिये यह आपके जिन्दगी को बदलने की ताकत रखते हैं |
एक आखिर उदारहण देता हूँ और आप खुद समझेंगे कि आखिर ये Emotion कैसे काम करता हैं| एक आदमी पर यह आजमाया गया और उसके आसपास के सभी लोगो को बोला गया कि उस आदमी को बोलना है कि – आप बहुत थके हुए और उखड़े हुए लग रहे हैं | कही आप बीमार तो नहीं हैं ? वह आदमी सुबह उठता है और जब तैयार होकर नाश्ते के लिए बैठता है तब उसकी बीवी बोलती है – क्या बात है जी आप बहुत थके हुए और उखड़े हुए लग रहे हैं! कही आप बीमार तो नहीं हैं ?
वह बहुत ख़ुशी से उर्जा के साथ बोलता है कि – मैं पूरा फिट हूँ, बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ, पर तुम्हे ऐसा क्यों लग रहा है ? और वह नाश्ता करके टिफिन उठाकर ऑफिस के लिए निकलने लगते हैं | गाड़ी के पास ड्राईवर जब चार का गेट खोलता है तब ड्राईवर उस आदमी से कहता है- क्या बात है सर आप बहुत थके हुए और उखड़े हुए लग रहे हैं! कही आप बीमार तो नहीं हैं ? तब वह आदमीं थोडा सोचता है और कहता है कि- तबियत तो ठीक है लेकिन क्या बात हो गयी? तब ड्राईवर बोला कि – फेस आपका डाउन लग रहा है | तब वह आदमी बोलता है – हो सकता है रात को अच्छे से सो नहीं पाया हूँ | और चुपचाप गाडी में बैठ जाता है |
रास्ते में जाते–जाते जहा वे सिगरेट पीते थे वहा रुकता है और सिगरेट मांगता है | तब वह पान दूकान वाला भी उस आदमी को बोलता है- क्या बात है साहब आप बहुत थके हुए और उखड़े हुए लग रहे हैं! कही आप बीमार तो नहीं हैं ? तब वह आदमी बोलता है – हाँ यार रात को अच्छे से सो नहीं पाया हूँ जिससे डल लग रहा है लेकिन तबियत वैसे ख़राब तो नहीं है | और वह वहा से निकल जाता है, लेकिन गाडी में बैठने के बाद उनका Physiology ( फिजियोलॉजी ) डाउन होना शुरू हो जाता है |
जैसे ही ऑफिस पहुचता है | सामने गार्ड भी उससे वही सवाल करता है – क्या बात है सर, आप बहुत थके हुए और उखड़े हुए लग रहे हैं ! कही आप बीमार तो नहीं हैं ? तब वो बोलता है – हाँ यार पता नहीं तबियत ढीली लग रही है | सर में दर्द हो रहा है देखता हूँ बैठ पाया तो ठीक नहीं तो बॉस को बोलकर आज छुट्टी ले लूँगा | अब वह अपने बॉस के केबिन में जाता है और बॉस के कुछ बोलने से पहले ही वह आदमी बोलता है- सर आज तबियत ठीक नहीं लग रहा है, मैं घर जाता हूँ और आराम करता हूँ | अगर फिर भी ठीक न लगे तो डोक्टर के पास भी चला जाऊंगा ! बॉस बोलते हैं – ठीक है जाओ| और वह सीधे डॉक्टर के पास जाता है | जब डॉक्टर उनको देखते है तब डॉक्टर बताते हैं कि – आपको तो तेज बुखार है! जाइये घर पर आराम कीजिये!
फिर सभी लोग उस आदमी के घर पहुचते हैं और उनको बताया जाता है कि यह सीरीज़ ऑफ़ Emotion हमने बनाया है | आपके बीवी से लेकर डॉक्टर तक सभी इसमें involve थे | जैसे–जैसे mind में Emotion बनता गया वैसे–वैसे ही Psychology ( सायकोलॉजी ) बनते गया, और आखिरी में सबने देखा की वह आदमी सच में बीमार हो गया |
आप भी चेक कीजिये आपके चारों तरफ कौन हैं वह कैसे Emotion देते हैं | वो आपको encourage करते हैं या down करते हैं |यह आपको ही चेक करना है कि आपका मेंटल स्टेट क्या है | याद रखे Emotion किसी को बीमार कर सकते हैं तो किसी को ठीक भी कर सकते हैं |
Emotion किसी कि जिंदगी को पूरी तरह बदल सकते है – किसी को बर्बाद कर सकते है तो किसी को सफ़लता की बुलंदियों पर पहुँचा सकते है | अब ये आपके और हमारे ऊपर निर्भर करता है की हम अपनी Psychology (सायकोलॉजी) और Physiology (फिजियोलॉजी) को कन्ट्रोल करके अपने emotions को सहीं दिशा दे और मन चाही सफ़लता को पाए |
Importance of Emotions2 thoughts on “”
Very good information Blog
Thanks