जिसपर हमारा हक़ न हो और उसे लेने का मन हो तो महाभारत की शुरुआत होती है | और जिसपर हमारा हक़ हो फिरभी उसे छोड़ देने का मन हो तब रामायण की शुरुआत होती है ||
हिन्दू धर्म ग्रंथो में रामायण को सबसे पवित्र पावन और शिक्षा देने वाला ग्रन्थ माना गया है | रामायण के हर एक पात्र से हमें जीवन जीने के बहुत से गुर सीखने को मिलते है, और प्रायः यह देखा गया है की लोगों को या बच्चों को जब कुछ सीखना हो तो रामायण के पात्रों का ही उदाहरण दिया जाता है | लेकिन आज कलयुग के समय में उन आदर्शों में चलना कितना सहीं और संभव है ? इस पर विचार करना बहुत ज़रूरी है |
आज कलयुग में प्रायः यही देखा जाता है की माँ-बाप, भाई-बहन, पति-पत्नी, दोस्त-रिश्तेदार आदि हर एक रिश्ता किसी न किसी स्वार्थ से जुड़ा हुआ है | लेकिन इन सब में आज भी कुछ ऐसे लोग है जो रिश्तों से, लोगों से लगाव रखते है | एक कोमल मन वाला व्यक्ति जो सच में अपने रिश्तों से लगाव रखता है और उसे ही हर रिश्ते में सबसे ज़्यादा धोखे और स्वार्थ झेलना पड़ता है, और नतीजा ये होता है की धीरे-धीरे वो कोमल मन वाला व्यक्ति भी औरों जैसा ही बन जाता है | वो इसलिए क्यूंकि जब ऐसे अच्छे इंसान के साथ कुछ ग़लत होता है तो उसके मन के अन्दर से एक टीस निकलती है और जिसने उसके साथ ग़लत किया या धोखा दिया उसे वो उस वक़्त कुछ बोल ही नहीं पाया क्यूंकि एक अच्छे इंसान को ऐसा कुछ करना आता ही नहीं | बहुत देर तक तो वो समझ ही नहीं पता की उसके साथ हुआ क्या है | जब धीरे-धीरे उसे ये समझ आता है तो वो उस इंसान के साथ बिल्कुल वैसा ही करने का मन बनाता है, लेकिन किसी भी कारण से वो उस व्यक्ति से बदला नहीं ले सकता या उसके ऊपर अपनी भड़ास नहीं निकाल सकता इसीलिए वो व्यक्ति अपने से कमज़ोर को अपने कोप का भाजन बना लेता है | साथ ही अब वो दुनिया में किसी पर भी भरोसा करने या लगाव रखने से भी डरने लगता है | किसी एक की ग़लती की सज़ा पूरी दुनिया को देने लगता है |
सारा घटनाक्रम आपस में जुड़े हुए होते है, एक ने दुसरे के साथ किया दुसरे ने तीसरे के साथ किया और ऐसा करते हुए अब ऐसा हो चूका है की एक कड़ी से कड़ी जुड़ते हुए पूरी दुनिया में नफ़रत और धोखे की लहर चल पड़ी है | इन सभी बातों को हर किसी ने अपने जीवन में कभी न कभी महसूस ज़रूर किया होगा, किसी ने जीवन के पड़ाव में बहुत ज़ल्दी किसी ने काफ़ी देर से लेकिन महसूस तो ज़रूर किया होगा | अपने आपसे पूछिए आपने भी किया है न ? आपको भी किसी अपने बहुत क़रीबी ने या ऐसे व्यक्ति ने जिसपर आपको पूरा भरोसा हो उसने आपका भरोसा थोडा हो या आपके साथ कुछ ग़लत किया हो ! कैसा लगा था आपको ? ऐसा लगा था न की मैं भी उसके साथ ऐसा ही करूँ ! उसे बहुत मारू ! उसकी जान ले लूँ ! दुनिया के सामने उसकी बहुत बेज्ज़ती करूँ ! लेकिन क्या आपने सच में उसी व्यक्ति के साथ ऐसा किया या उसका गुस्सा या उसका भड़ास अपने से किसी कमज़ोर के ऊपर निकाला ? अगर आपने सच में इस सवाल का जवाब अपनी आत्मा से माँगा होगा तो आपको भी ये बात समझ आ गई होगी की हम क्या कहने की कोशिश कर रहे है |
इस दुनिया में ग़लत तो कभी न कभी कहीं न कहीं हर इंसान के साथ होता है, पर उस ग़लत का सामना करने के और दो तरीके है और इस तरह दुनिया में दो तरह के लोग होते है एक वो जो ये सोचते है की – जो ग़लत मेरे साथ हुआ वो किसी और के साथ न हो ! और दुसरे वो लोग जो ये सोचते है – जो ग़लत मेरे साथ हुआ वो सभी के साथ हो ! अब इन दोनों सोच में से जो सोच आज कलयुग में लोगों पे हावी होती जा रही है वो है – जो ग़लत मेरे साथ हुआ वो सभी के साथ हो, पूरी दुनिया को पता चलना चाहिए की मुझे कितना बुरा लगा और यही सोच के साथ बुराई और नफरत की चेंन शुरु हो जाती है |
हमने अपने लेख की शुरुआत आज रामायण से की थी अब अगर आप रामायण के हर किरदार के बारे में सोचें तो देखिये उसमे असल में किसने किसके साथ क्या ग़लत किया और उसकी सज़ा किसे मिली ? और दसूरी ज़रूरी बात जिसने बिना किसी गलती के सज़ा भुक्ति उनसे किसी और के साथ क्या ग़लत किया ? अगर हम रामायण के सबसे मुख्य पात्र प्रभु श्री राम को देखें तो उनके जीवन में अंत तक कुछ सहीं या अच्छा हुआ ही नहीं – राजा बनने वाले दिन में उन्हें वनवास मिल गया, जंगल में रहते हुए पत्नी का अपहरण हो गया, जिसने उनकी पत्नी का अपहरण किया उससे उनका उनके जीवन काल में कोई लेना-देना था ही नहीं, उनके साथ उनकी पत्नी और उनके भाई लक्षमण का जीवन भी कष्टमय तरीके से व्यतीत हुआ | पत्नी के अपहरण के बाद रावण के साथ इतना भयानक युद्ध लड़ कर जब वापस अयोध्या आये तो फिर उनके जीवन में भूचाल आ गया, उन्हें अपनी गर्भवती पत्नी को फिर आश्रम में भेजना पड़ा जहाँ पर सीता जी ने दो राजकुमारों को जन्म दिया जिसके बारे में श्री राम को कुछ जानकरी नहीं थी और उसके बाद हद तो तब हो गई की अनजाने में श्री राम अपने ही पुत्रों का वध करने वाले थे लेकिन नियति ने ऐसा होने नहीं दिया | अब प्रभु श्री राम के साथ हुए इतने सारे ग़लत घटनाओं के लिए वे किसे दोष दें या किससे बदला ले ?
अब एक आम इंसान ये कहेगा – वो तो भगवान् है इसीलिए उन्हें इन सब बातों से या घटनाओ से कुछ फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने ने तो जन्म ही रावण को मारने के लिए लिया था ! लेकिन फिर भी आप सोच के देखिये की ये तर्क कितना सहीं है ? अगर प्रभु श्री राम भगवान् थे तो उन्हें इन सभी घटनाओं से गुज़रने की ज़रूरत ही क्या थी ! वो चाहते तो एक झटके में रावण का वध कर सकते थे लेकिन अगर ऐसा करते तो पूरी मानव जाति के लिए मिसाल कैसे बनते | उन्होंने मनुष्य रूप लेकर एक मनुष्य की ही तरह सभी मुश्किलों का सामना किया और मनुष्य को सबसे बड़ी सीख यह दी की चाहे जैसी भी परिस्थित हो अपने मन और चित्त को शांत रख कर हर समस्या का समाधान निकाला जाए | जो ग़लत कर रहा है मात्र उसे ही सज़ा दे न की किसी कमज़ोर को | अपने कर्तव्यों से कभी मुह न मोड़ें न ही अपने किये कर्मों की ज़िम्मेदारी लेने से डरें, अगर कर्म आपके है (सहीं या ग़लत) तो उसके फ़ल भी आपको ही भुगतने पड़ेंगे | दुनिया से या लोगों से सच छुपा कर कुछ वक़्त के लिए आप अपना व्यक्तित्व लोगों के सामने अच्छा रख सकते है, लेकिन हमेशा के लिए नहीं, क्यूंकि सच कभी न कभी सामने आ ही जाता है और तब अपने एक कर्म को छुपाने के लिए जो आपने अनेक झूठ बोले है उसकी भी कीमत आपको चुकानी पड़ती है | बहुत आसान होता है दूसरों से नाराज़ होना, चिल्लाना, नफ़रत करना मगर जो आसान होता है वो बहुत महंगा होता है उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है |
हर इंसान के जीवन में हर वक़्त कोई न कोई इम्तेहान चलते ही रहते है | हमारे इस लेख से अगर आपको अपने जीवन की किसी एक तकलीफ से शांत चित्त और धीरज के साथ सामना करने का हौसला मिले तो हमारी ये मेहनत सफल मान लेंगे हम |
Ek Granth Se Sikhe Samasyaon Ka Samadhan | एक ग्रंथ से सीखें समस्याओं का समाधान4 thoughts on “”
Such a nice article 👌
Excellent 👍
Thankyou
Jai Ho
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