आज देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ? इस सवाल के जवाब में हर कोई अलग-अलग जवाब दे सकता है जैसे – रोजगार, गरीबी-भूखमरी, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, डगमगाती हुई अर्थव्यवस्था आदि | लेकिन इन सब कारणों का उद्गम कहाँ से होता है ? इसका एक ही जवाब है – “हमारी बढ़ती हुई जनसँख्या” हर इंसान जो जन्म लेता है उसको बुनयादी सुविधाए तो लगती ही है – रोटी, कपड़ा और मकान लेकिन आज कल इसमें थोडा सा बदलाव है जैसे रोटी लेकिन multicousine restaurant की भले ही खाने वाला अकेला आदमी ही क्यूँ न हो | कपडा मतलब designer भले ही उसकी कीमत लाखों में हो (इतनी जिसमे एक इंसान की साल भर की बुनियादी ज़रूरत पूरी हो जाए) और मकान मतलब एक आलीशान 5BHK घर भले ही उसमे रहने वाले सिर्फ दो ही लोग हो और आधा वक़्त वो भी घर में न रहते हों | इससे भी बड़ी बात ये है की ये सभी शौक देश और दुनिया में बहुत से लोग है जो पूरी करते है इसका मतलब ये है की देश और दुनिया में पैसों की कमी नहीं है बस जिसके पास है वो ज़रूरत से ज्यादा खर्च कर रहा है और जिसके पास नहीं है वो अपनी बुनियादी ज़रूरत भी पूरी नहीं कर पा रहा है| लेकिन फिर भी अगर हम बढ़ती हुई जनसँख्या पे रोक नहीं लगा पाए तो ये चक्रवृद्धि ब्याज की तरह हमारी समस्या को बढ़ाते ही जायेगा |
इस मोड़ पर एक बिलकुल ही अलग बात करना चाहूँगा- इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के अनुसार, वर्तमान में भारतीय आबादी के लगभग 10 से 14 प्रतिशत लोग इनफर्टिलिटी से प्रभावित है, जहां छह में से एक युगल प्रभावित होता है। लगभग 27.5 मिलियन जोड़े सक्रिय रूप से भारत में बच्चे नहीं होने की समस्या से जूझ रहे है | साथ ही भारत में लगभग 20 मिलियन बच्चे, (आबादी का लगभग 4% और दिल्ली में रहने वाले लोगों की तुलना से भी अधिक) अनाथ हैं। उनमें से, केवल 0.3% बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो गई है और बाकी बहुत सारे बच्चों को छोड़ दिया गया है । क्या ये अकड़े आपको कुछ सोचने पे मजबूर नहीं करते ? एक तरफ इतने सारे ऐसे लोग है जो बच्चों के लिए तरस रहे है और दूसरी तरफ ऐसे बच्चे है जो किसी अपने के लिए तरस रहे है, और ये आकडे तो सिर्फ हमारे देश के है, अगर हम दुनिया की बात करें तो ये संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाएगी |
हमारे देश में संस्कृति, संस्कार धर्म और न जाने क्या-क्या कह कर लोगों के दिमाग में अपना खून, अपनी कोख से पैदा करना ऐसी बातें बिठा दी जाती है – लेकिन ये किस हद तक सही लगता है आपको ? ऐसा क्यों है की हम प्यार और अपनापन सिर्फ खुद के बच्चे को ही दे सकते है? लेकिन फिर भी आज के समय में ये बात भी विचारनीय है की कितने बच्चे अपने माँ-बाप का उनके बुढ़ापे में साथ रह कर उनका ध्यान रख पाते है ? आज पढाई के लिए या नौकरी के लिए बच्चे एक शहर से दुसरे शहर या एक देश से दुसरे देश जा रहे है, माँ-बाप तो वहीँ रह जाते है अपने घर में | इसका आशय ये भी निकलता है की अपने खुद के बच्चे की चाह वाकई में इंसान की खुद की सोच है या पारिवारिक एवं सामाजिक दबाव में हम ऐसा सोचने के लिए मजबूर हो जाते है | हम अपनी ज़िन्दगी में सब कुछ बन जाते है- माँ-बाप, भाई-बहन, दोस्त, पति-पत्नी और बाकि सभी रिश्ते, लेकिन सबसे पहले जो बन के इस दुनिया में आये है वो, एक ‘इंसान’ बनना भूल जाते है |
इस समाज का एक सच ये भी है की अगर कोई ऐसा कुछ करना चाहे, पहले इंसान बनके कुछ अलग करना चाहे तो उससे भी ऐसा महसूस करवाया जाता है की, अपने सही फैसलों पर भी वो खुद ही सवाल उठा लेता है | इस दुनिया में ऐसे लोग होते है जो इंसानियत की भाषा या जस्बा न खुद समझ पाते और ना ही दूसरों को समझने देना चाहते | आज हम सब बहुत ही स्वार्थी हो गये है, स्वार्थी के साथ-साथ हमारा अहम् भी हमे बहुत से काम जो हमारा मन जनता है की सही है, वो भी नहीं करने देता |
हमने आज देश की समस्या से बात शुरु की लेकिन लेख के अंत में आते तक ये समझ आ रहा है की किसी इंसान की व्यक्तिगत समस्या ही बड़ी होते–होते देश की समस्या का रूप ले लेती है | इंसान से घर बनता है, घर से समाज, और समाज से देश, इसलिए अगर हम सब मिलके अपनी छोटी-छोटी व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान खुद निकलना शुरु करें तो शायद देश की या विश्व की समस्या का समाधान निकल सकता है | हर एक समस्या का समाधान सिर्फ सरकार से ही मिले ये ज़रूरी नहीं है | व्यक्तिगत फायदे और नुक्सान पर खुद विचार करें और ये जरुर ध्यान दे की कहीं आपके कुछ फैसले किसी की जोंदगी बदल सकते है क्या ? जरुरत है तो बस सहीं सोच की, अपने और अपने परिवार के भविष्य को ध्यान में रख कर सही फैसले लेने की, न की लोगों या समाज के दबाव में आकर फैसले करना और साथ ही अपने फैसलों को सहीं साबित करके दिखने की, हाँ ये भी सच है की जब कुछ अलग करेंगे तो मुश्किलें भी आएँगी लेकिन अगर हमारी अंतरात्मा ये जानती है की हम सहीं है तो मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत आ जाती है | साथ ही समय के साथ लोगों को भी ये समझ आ जाता है की हम सही है और हमारी ज़िन्दगी से वो भी कुछ सीख लेते है और ऐसे ही एक सहीं सोच और मज़बूत समाज की नीव पड़ती है |
इन सभी बातों पे ज़रूर विचार करें अगर ये समस्या आपकी नहीं है तो आपके आस-पास के लोगों को जागरूक करें और उन्हें सही फैसलें करने में सहायता करें | अब इस लेख को पढने के बाद आपको क्या लगता है देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ? हमे कमेंट करके ज़रूर बताये |
ये “समाज” चाहता क्या है ? What does this “SOCIETY” want ? Ye “SAMAJ” Chahta kya hai?10 thoughts on “”
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