हम सभी जानते हैं कि खाने पीने के मामले में हमारा देश अन्य देशों कि तुलना में हमेशा ही स्पेशल ही रहा है, चाहे वह ऋषि मुनियों के ज़माने वाली बात हो या अभी कि बात हो, खाने में चाहे हम अपनी स्वाद हो या स्वास्थ्य की हमारा खाना अलग ही होता है | पांच साल पहले की ही बात करें तो भारत से एक राज्य जो “बासी” मतलब रात में बना हुआ भात (चांवल) को पानी में भिगोकर रख देते हैं, और उसको सुबह नाश्ते के तौर पर खाते हैं | जिसका अमेरिका द्वारा शोध किया गया था और उनके द्वारा कहा गया था कि यह दुनिया का सबसे अच्छा नास्ता है | मैंने खुद यह खा के देखा है, खुद पाचक होने के साथ साथ हमारे शरीर के पाचनतंत्र को ठीक करने में मददगर है | बहुत दिनों से हो रही गैस और भूख कि समस्या का समाधान हुआ था,और शरीर को व्यवस्थित कर दिया था |
हमारे पूर्वजों द्वारा विभिन्न बर्तनों का विशेषता सुना है, जिसको सहस दोस्त बताने जा रहा है कि “कहीं न कहीं बर्तन भी स्वाथ्य सही रहने से सम्बन्ध है”, आज हम स्वास्थ्य और स्वाद के नज़रिए से लगभग हम सभी स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना को प्राथमिकता देते हैं, साथ ही हमको सोचना या ध्यान देना होगा कि खाना तैयार करने के लिए कौन से धातु का उपयोग करना चाहिए | आज लगभग हर घर के किचन में सभी प्रकार के बर्तन मिलता है, स्टील, एल्युमिनियम, पीतल, ताम्बे, कांसा, कांच, प्लास्टिक इत्यादि | किसी भी बर्तन में खाना बनाते समय गर्म, सामान्य या ठन्डे अवस्था में भी रासायनिक क्रिया होती है | जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य में पड़ता है | पहले हमारे दादी – नानी लोगों द्वारा आग के लिए चूल्हे तथा मिटटी और बर्तनों में कांसा, पीतल का उपयोग किया जाता रहा है | सिल बट्टे कि जगह मिक्सी ने लिया है, दूध से मलाई निकालने के लिए मथनी का उपयोग किया जाता था, आज मशीनों ने उसका जगह ले लिया है, जिससे सभी रेडीमेड मिलने लगे हैं | आपको विस्वास नहीं होगा हमारे भारत में ही कुछ ऐसे भी जगह हैं जहाँ लस्सी बनने के लिए वाशिंग मशीन का उपयोग करते हैं | आगे सहस दोस्त बर्तनों के प्रकार कि विशेताओं को बताने कि कोशिश करते हैं |
पीतल के बर्तन पहले के ज़माने में पीतल के पतीले, कड़ाही, हांड़ी आदि बर्तनों का घर में रहना शान और शौकत का प्रमाण को दर्शाता था, चूल्हे से निकली राख से इसकी सफाई करने से इनका चमक भी गजब होती थी | समय – समय पर इनमें पोलिश भी कराया जाता था, ताकि इसका मेंटनेंस अच्छे से हो सके | पीतल के बर्तन में नमक या खट्टे पदार्थों के रहने से इनमे रासायनिक क्रिया बड़ी तेजी से होता है, जिससे फ़ूड पोइसेनिंग होने का खतरा बढ़ जाता है, तो ध्यान ये रखे कि इस तरह के बर्तन का प्रवित्ति गर्म होता है| अतः खाना बनाने के लिए अच्छे उच्चतम गुणवत्ता वाला पीतल का ही प्रयोग करें और इसकी सफाई क लिए नीबू या सिरके का इस्तेमाल कर सकते हैं |
एल्युमिनियम के बर्तन आज के समय में इसका उपयोग अधिक रूप से किया जा रहा है, जैसे कि कुकर, इडली मेकर, कड़ाही, पतीले आदि आदि, एक बात और बता दूँ, कि इसको किसी ज़माने में “गरीबों कि चांदी” भी कहा जाता था | प्रेसर कुकर में खाना जरुर जल्दी बन जाता है, लेकिन भोजन के केवल 15% ही पौष्टिक तत्व बच पाते हैं | ये बोक्ससाईड नमक धातु से बनता है जो कि नर्वस सिस्टम, अस्थमा, लीवर तथा हड्डी से सम्बंधित जैसे रोग का जिम्मेदार भी माना जाता है | कहते हैं इसमें भी खट्टे पदार्थ का रिएक्शन भी होता है | इस तरह के बर्तनों में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना जरुरी है |
ताम्बे का बर्तन हमारे भारत देश में ताम्बे के बर्तन का उप्योग पूजा-पाठ मतलब धार्मिक कार्यों में ज्यादा किया जाता है, इसमें पानी भरकर रखा जाये और नित्य सेवन किया जाये तो ब्लड प्रेशर, मोटापा, लीवर, खून कि सफाई सम्बंधित समस्याओं से छुटकारा पाने में सहयोग प्रदान करता है | इनसे निर्मित बर्तनों में भी खट्टे चीजों को नहीं रखना चाहिए |
स्टील के बर्तन आज कि बात करें तो सबसे ज्यादा उपयोग कि जाने वाली बर्तनों में स्टील है,| क्योंकि इसमें खाना जल्दी बनता है और देर तक गरम भी रहता है, और सफाई भी करने में बड़ी आसानी रहती है | ये बर्तन विभिन्न आकारों में तथा मन मुताबिक डिज़ाइन में बड़ी आसानी से मिल जाता है | मज़े की बात ये है कि अगर साफ़ सफाई में विशेष ध्यान रखें तो इसमें बना हुआ भोजन से स्वास्थ में कोई समस्या नहीं आती है |
नॉनस्टिक बर्तन शहरों में इसका चलन अभी बहुत ज्यादा है सबसे बड़ा कारण है कि इसमें तेल, घी कम लगता है साथ ही साथ भोजन चिपकता नहीं है | ऐसे बर्तनों में टेफ़लोन का परत लगाया रहता है, जो खाना बनाते समय धीरे धीरे हानिकारक कण मिलते जाता है और वह हमारे पेट में जाता है तो स्वाथ्य पर असर करता है|
लोहे का बर्तन स्वास्थ के हिसाब से लोहे द्वारा निर्मित बर्तन खाना बनाने के लिए उत्तम कहा जाता है, लोहे में उपलब्ध अयस्क धीरे धीरे हमारे भोजन के साथ हमारे शरीर में जाता है तो एनीमिया जैसे रोग को ठीक करने में सहयक होता है | साफ सफाई का विशेष ध्यान देना जरुरी होता है, क्योंकि इसमें जंग लगने का डर होता है |
मिटटी के बर्तन पुराने ज़माने में सबसे ज्यादा उपयोग कि जाने वाली बर्तन थी, मिटटी के बर्तन, वर्तमान में भी इसको पुनः प्रोत्साहित किया जा रहा है, हमारे देश के विभिन्न जगहों पर मिटटी के बर्तन बनाने का फैक्ट्री भी है | वहां लगभग सभी प्रकार के बर्तन मिटटी से बनाया जाता है | बर्तनों के अलावा फ्रीज भी मिटटी द्वारा निर्मित होता है | सबसे ज्यादा पोषक तत्व मिटटी के बर्तन में ही होता है, क्योंकि प्रकृतिक तत्व है, और यह ऐसा चीज है जो टूटने – फूटने पर भी मिटटी में मिल जाते हैं और प्रकृति को नुकसान भी नहीं करता है | खाने का स्वाद भी लाजवाब होता है | पानी पीने के लिए मिटटी से बने घड़े का उपयोग करना अच्छा होता है, पाचन क्रिया बहुत अच्छा रहता है |
निष्कर्ष यह है कि उपयोग के आधार पर धातुओं से निर्मित बर्तनों का प्रयोग करें, साफ़ सफाई पर विशेष ध्यान देने कि जरुरत है, जिसमे अधिक पौष्टिक मिले उस तरह के बर्तनों का प्रयोग करना उचित होगा |
प्रिय पाठक आपने हमारा लेख पढ़ा, उसके लिए आपको दिल से धन्यवाद् | आपको कैसा लगा फीडबैक निचे दिए गए कमेंट्स सेक्शन में जाकर जरुर देंवे ताकि हमें अपना गुणवत्ता समझने में सहायता हो |
बर्तनों के प्रकार और उसका उपयोग | Types of Pottery and its Use.3 thoughts on “”
बहुत ही सुंदर जानकारी है ,जो आज के युवाओं को अवश्य ही जानकारी होना चाहिए ,इससे मैं प्रभावित हुआ हूं।
जय हिंद।
thanx
Good information