आज हम बात करने वाले है उन पांच डरों के बारे में जो एक इंसान के अन्दर बिल्कुल नहीं होने चाहिए | अगर इन पाँचों में से एक भी डर आपके अन्दर है तो आप कभी सफल नहीं हो सकते | लेकिन यह भी सत्य है की इन पाँचों में से कोई न कोई डर आपके अन्दर ज़रूर होगा | इसलिए सबसे सहीं तरीका यही है की इन डरों को पहचाना जाए और उन्हें अपने जीवन से ख़त्म किया जाए | हर इंसान किसी न किसी चीज़ से तो ज़रूर डरता है, लेकिन इस डरने के चक्कर में वो ये भूल जाता है की उसे किस चीज़ से डरना चाहिए और किस चीज़ से नहीं डरना चाहिए | जिस काम को करने से डरना चाहिए इंसान उस काम को बेफ़िक्र होकर करता है और जिस काम को करने से नहीं डरना चाहिए उसे करने के पहले सौ बार सोचता है |
असल में इंसान को झूठ बोलने से, चोरी करने से, किसी का बुरा करने या किसी को धोखा देने से डरना चाहिए लेकिन इंसान किसी दुसरे के साथ इनमे से कोई भी काम करने के पहले बिल्कुल नहीं डरता बल्कि उसे ऐसा करने में मज़ा आता है, और बाद में जब इन कामों का फल मिलता है तो वो ज़िन्दगी भर रोता रहता है | तो आइये जानते है उन पाँच डरों के बारे में जिनसे हमे कभी नहीं डरना चाहिए –
आलोचना का डर (Fear of criticism) : ये डर दुनिया का सबसे बड़ा डर है | इस दुनिया में 95% से ज़्यादा लोग अपने सपनों को या अपने passion को सिर्फ़ इसलिए छोड़ देते है कि, माँ-बाप क्या कहेंगे, भाई-बहन क्या कहेंगे, पति या पत्नी क्या कहेंगे, परिवार वाले क्या कहेंगे, दोस्त-रिश्तेदार क्या कहेंगे | दुनिया में बहुत से ऐसे कामयाब लोग है जिनकी शुरुआत में दुनिया वालों ने बहुत आलोचना की थी या उनके हुनर को समझा ही नहीं गया था | जैसे – थॉमस अलवा एडिसन, अमिताभ बच्चन, इलोन मस्क, आदि इनसे से किसी के भी हुनर या सोच को दुनिया वालों ने या उनके करीबियों ने भी शुरुआत में नहीं समझा, लेकिन आप सोच कर देखिये की अगर इनमे से कोई भी मुख्यतः थॉमस अलवा एडिसन अगर दुनिया वालों की आलोचना से डर कर अपना काम नहीं करते तो क्या हम आज ऐसी जिंदगी जी रहे होते जैसी की हम जी रहे है ? जवाब है “नहीं” | तो अगर आपको भी कुछ नया करने से पहले या अपने सपनो को या passion को पूरा करने से पहले डर लगता है कि, ‘लोग क्या सोचेंगे’ तो आज ही उस डर को अपने अन्दर से निकाल बाहर करिये और याद रखिये – “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना” |
किसी के प्यार के खो जाने का डर (Fear of Love lost): ये डर दिखता नहीं है लेकिन सभी के अन्दर होता है| हर कोई ये सोचता है की अगर मेरा पति या पत्नी मुझे छोड़ कर चला गया तो मेरा क्या होगा, मेरा बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड मुझे छोड़ कर चला गया तो मेरा क्या होगा, मेरे बच्चे मुझे छोड़ कर चले गए तो मेरा क्या होगा | कुछ लोगों में यह डर इस हद तक होता है की वो अपनी ज़िन्दगी में कोई भी बड़ा फ़ैसला करने से इसलिए डरते है की कहीं उनका कोई क़रीबी उन्हें छोड़ कर ना चला जाए | इस डर पे जीत पाने वाले कुछ लोगों के नाम बताये तो वो है – विराट कोहली, संजय दत्त आदि जिन्होंने अपने जीवन के बहुत की एहम मुकाम पर अपने पिता और माँ को खो दिया लेकिन इस बात से डर कर दोनों ने क़दम पीछे नहीं किये बल्कि विराट कोहली ने तो रात के तीन बजे अपने पिता को खो देने के बाद अगले दिन पहले मैच खेला उसके बाद आ कर अपने पिता का अंतिम संस्कार किया, क्योंकि वो जानते थे की उनका और उनके पिता का सपना क्या था ! संजय दत्त ने भी अपनी पहली फ़िल्म के रिलीज़ के ठीक पहले अपनी माँ को खो दिया था लेकिन फिर भी उनकी पिक्चर का प्रीमियर नहीं रोका गया क्योंकि उन्हें और उनके परिवार को पता था की उनकी माता जी का अंतिम सपना क्या था | हम जानते है की ऐसा करने के लिए बहुत हिम्मत की ज़रूरत होती है लेकिन हर इंसान को अपने-आप को अन्दर से इतना मज़बूत बनाना ज़रूरी है | इसीलिए हमे भी अपने अन्दर से इस डर को निकाल बाहर करते हुए ये हमेशा याद रखना चाहिए कि – “जिंदगी में कुछ पाने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ खोना पड़ता है” |
ग़रीबी का डर (Fear of Poorness) : हम जब भी किसी इंसान को नई किताब लेने की, नई तकनीक सीखने की या कुछ नया करने की सलाह देते है तो वो सबसे पहले अपनी ग़रीबी की बात करता है, उसके बाद वो बोलता है की अगर मैं इसमें फेल हो गया तो मेरा क्या होगा ! ज़रा सोचिये अगर रतन टाटा, आदित्य बिरला, धीरूभाई अंबानी, मार्क ज़ुकेरबर्ग, आदि इन सभी ने ऐसा सोचा होता तो क्या हम और आप इस वक़्त ऐसी ज़िन्दगी जी रहे होते जैसी अभी जी रहे है ? ज़वाब है “बिल्कुल नहीं” | इसीलिए हमें अपनी ग़रीबी से डरना नहीं है बल्कि ये सोचना है की इससे बाहर कैसे निकला जाए ! एक बात हमेशा याद रखिये “इंसान ग़रीब पैदा नहीं होता बल्कि अपनी सोच के कारण ग़रीब होता है” |
वृद्धावस्था या मरने का डर (Fear of Oldness): अपने कई लोगों को 30-40 साल की उम्र में ये कहते सुना होगा की अब तो हमारी उम्र हो गई है, अब हमसे क्या होगा ! ज़रा सोचिये अगर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति श्री नेल्सन मंडेला ऐसी सोच रखते तो दक्षिण अफ्रीका की स्थिति अभी क्या होती ? नेल्सन मंडेला जी को 46 वर्ष की उम्र में उम्र कैद की सज़ा सुना दी गई थी, 27 साल वो जेल में कैद रहे लेकिन 74 वर्ष की उम्र में वो जेल से बहार निकले और दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने और अपने राष्ट्र का भविष्य ही बदल डाला | इसलिए हम कहते है की अगर आपके अन्दर कुछ करने की चाह है हिम्मत है तो अपनी उम्र का लिहाज़ बिल्कुल मत करिये वो कहते है ना “Age is just a number” |
बीमारी का डर (fear of disease): दुनिया में कुछ लोग जन्म से ही दिव्यांग होते है और कुछ लोग समय और परिस्थिति के कारण उस अवस्था में पहुँच जाते है | बहुत से लोग तो इस बात से डरते है की कहीं उन्हें कोई बड़ी बीमारी न हो जाए | दुनिया में बहुत से ऐसे लोग भी है जो लोगों के इस डर का फ़ायदा उठा कर अपना धंधा चला रहे है, दवाईयां बेच रहे है, पॉलिसीस बेच रहे है और आपको बीमारी का डर दिखा कर अपना काम बनाते रहते है | “मुझे मरने से डर नहीं लगता, और ना ही मुझे मरने की कोई जल्दी है, बस मरने से पहले बहुत कुछ अच्छा करना चाहता हूँ” ये कहना था महान साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग का | इन्हें तो हम सब जानते है – स्टीफन हॉकिंग बचपन में बिल्कुल ठीक थे पर वो जब 18 साल के हुए तो उन्हें रोज़ के दैनिक कार्यों को करने में कठनाइयां होने लगी एक दिन वो बेहोशी के कारण गिर पड़े और जब उन्हें होश आया तो उनके आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था | डॉक्टर्स ने कहा की अब ये ज़्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सकते और धीरे-धीरे उनके पुरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया पर उनका दीमाग था जो हमेशा चलता रहा और यही वो महान वैज्ञानिक है जिन्होंने ब्लैक होल थ्योरी को दुनिया के सामने लाया |
हमारे इस लेख को पढ़ने के बाद आप आज ही अपने अन्दर झांकिये और देखिये की आपके अन्दर इन पांच डर में से कौन सा डर है, जो आपको सफल होने से रोक रहा है और उस डर को आज ही निकाल बाहर करिये और ये भी ज़रूर देखें की आपके अन्दर कौनसा ‘ऐसा डर नहीं है, जो होना चाहिए’ लेकिन आप उसे नज़रंदाज़ करके जीवन में किसी ग़लत राह पर चल पड़े है |
Dar Ki Dastak – Life Ke 5 Dar Jo Pichhe Kar Deti Hai. | डर की दस्तक – लाइफ के 5 डर जो पीछे कर देती है.3 thoughts on “”
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