वर्तमान में सभी लोग लिखा हुआ जिंदगी जीने लगे हैं, यह अद्भुत मायाजाल है | जो कि इससे बाहर का कोई और सोच भी नहीं सकता है | बस यहीं पर घूमते रहते हैं | इसमें किसी का कोई गलती नहीं है, क्योंकि यह बचपन से ही हमारे दिमाग में भर दिया जाता है, कि अच्छे से पढाई करो ताकि अच्छे अंक आयेगा तभी तुम कुछ आगे अच्छा कर पाओगे | कोई व्यापार शुरू करना चाहता है, तो कहते हैं व्यापर चालू करना बहुत बड़ी जोखिम का काम है | इससे अच्छा तो तुम पढ़ लिख के कोई अच्छी नौकरी करो, ताकि आपका जिंदगी अच्छे से चल पाए | बचपन से ही उतना ही शिक्षा दिया जाता है, जितना की आप उसको स्वीकार कर लो, यह शिक्षा कभी नहीं दिया जाता जितना आपको बताया जा रहा है, उसको सुनकर जाँच – पड़ताल कर उसका प्रमाणिकता का सत्यापन कर लो | इस तरह सभी भेड़ चाल में चल रहे हैं, या कहें कि चूहों के जैसे तरह सब भाग रहे हैं | आज के चकाचौंध जिदगी के कारण सभी के दिमाग के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है | शिक्षा का स्तर सुधारने के बजाय समस्या के समाधान निकालना सिखाने से हटकर, सबको नौकरशाही कैसे बनना है, उसके बारे में सिखाया जा रहा है | दुनिया में इतनी सारी कंपनियां हैं, जो अलग – अलग तरह के प्रोडक्ट तैयार करके बस यह चाहती है, कि कैसे भी आप उनका सामान खरीदों और बिना दिमाग लगाये उसका उपयोग करो | दुनिया भर में लाखों मनोरंजन के लिए चलचित्र बनाने वाली संस्थाएं हैं, जो फिल्में, वेब सीरीज बनाकर कर आपके प्रत्येक सेकेण्ड को आपसे ही आकर्षित करके अपनी ओर खींचने का प्रयास करती है | ताकि वे सभी संस्थान अधिक से अधिक पैसे कमा पाएं | बुनियादी बातें यह है कि आप खुद एक वस्तु हैं, जिसका उपयोग ये सारी संस्थाएं उपयोग करती है |
बहुत सारे बहुराष्ट्रीय संस्थाएं हफ्ते में दो दिन कि छुट्टी देती हैं, शनिवार और रविवार, जिसमे आपको काम नहीं कराते, बल्कि ये सिखाते हैं कि आपको इन दो दिनों में कुछ काम नहीं करना चाहिए | सभी दिन एक सामान होते हैं, और हमारे दिमाग में भरा हुआ है कि दो दिन कि छुट्टी है इसमें हमें काम नहीं करना है | आधुनिक दुनिया में आपको आधुनिक रूप से कमजोर करते जा रहे हैं | जिसमे आप जिस संस्था में काम करते हैं, उसमें आपका भागीदारी निष्ठां पूर्वक होने चाहिए | मनोरंजित व्यक्ति, और निर्जीव जैसे बनाने का काम किया जा रहा है | उदाहरण के लिए कोई फिल्म बनाने से पहले एक कहानी लिखी जाति है उसी के अनुरूप किरदार का चयन होता है , और उन किरदारों द्वारा फिल्मों के जरिये आपको मनोरंजित किया जाता है | ठीक उसी तरह आप भी किसी न किसी रूप में एक किरदार हैं | अभी यह बात शायद समझ नहीं आई होगी | आगे पढेंगे तो बिलकुल समझ आ जाएगी |
मीडिया ( किसी भी माध्यम का हो समाचार पत्र या चलचित्र ) में आप आये दिनों किसी न किसी का साक्षात्कार देखते ही होंगे, बहुत पहले किसी देश में एक उद्योगपति का साक्षात्कार हुआ था, जिसमें पूछा गया था कि, आप पगार तो पूरा देते हैं | लेकिन आप अपने सभी कर्मचारियों को सप्ताह में दो दिन शनिवार – रविवार को अवकाश देते हैं क्यों? तब उस उद्योगपति ने कहा था कर्मचारी ही सभी चीजें बनाते हैं, और यही लोग उसका उपभोग भी करते हैं | ज्यादा समय होने पर ये सभी तरह के वस्तुओं का उपयोग करेंगे, कपड़े, खाने पीने के चीजों, या अन्य भौतिक सुख सुविधा वाले सामानों का उपयोग करेंगे | जिससे सभी का खपत होगा, खपत होगा तो उनसे ही ज्यादा सामान बनाने के लिए उनसे ही काम करा पाएंगे, जिससे हमारा लाभ बढेगा, और इस तरह सभी लोग इसी चक्रविव्ह में चलते रहेंगे | भौतिक सुख साधनों में से जो भी चीज आप खरीदना चाहते हो और उसका मूल्य आपका एक महीने का पगार के बराबर होता है, उस स्थिति में आप अपने लिए नहीं कमाते, बल्कि आप उस उद्योग – संस्था के लिए कमाते हो | इससे हमको सिख लेनी चाहिए कि हमको उपभोक्ता बनने के बजाय, जरुरत के सामानों को बनाने वाला बनना चाहिए | दिन भर में हजारों विज्ञापन देखते हैं, उनका हमारे सामने दिखाने का तरीका ऐसा होता है, कि हम फंस ही जाते हैं | बल्कि वहां पर उनका पेश करने का तरीका और लाभ – हानि का आंकलन कर, उपभोग करना बंद कर देंगे, तो हम बनाने वाले बन सकते हैं | सात साल पीछे चलकर देखते हैं , हमारे ही देश में किसी साधू बोलू या ढोंगी ने कहा था कि इस जमीन को इतना फिट खोदो सोना निकलेगा, जो कि पुरे देश को मालामाल कर देगा, सरकार भी उसके बातों में आ गया और सम्बंधित विभाग जमीन खोदना शुरू कर दिया जहाँ पर लोगों का मेला लग गया , इनके दौरान कुछ समझदार लोगों ने मांग के अनुसार सामग्री का बेचना शुरू कर दिया | मतलब समय का उपयोग करते हुए लोगों ने अपना धंधा कर लिया | दूसरी तरह से सोचे तो जमीं खोदने पर सोने मिलने वाली हैं सुनकर खुद खोदने में लगने बजाये खुदाई में आने वाली चीजों का बेचना चालू कर दो |
प्रेम के नियम के बारे में लोग अच्छे से समझ नहीं पाते, आप जितने ज्यादा लोगों को प्रभावित करेंगे उतना ही ज्यादा आप पैसे कमाएंगे , कोई भी बड़ा पेशेवर कहता है कि हमसे ज्यादा पैसे तो खिलाडी लोग कमाते हैं | वह ऐसे होता है क्योंकि कि हजारों लोग, हजारों रूपये का टिकट लेकर उसके खेल को देखने जाते हैं | उनके खेल के प्रसारण से विज्ञापन बढ़ता है, इससे लाखों लोग उनके द्वारा बताये गए सामान खरीदते हैं, मतलब खिलाडी पैसे बनाने के मशीन के जैसे काम करते हैं |
एक बात जो मैं भी अपने नजदीकी लोगों से हमेशा बातों – बातों में कई बार कहता हूँ कि कोई भी उद्यमी बनने के लिए लोगों की परेशानी ही, आपके व्यापार बनता है, जिससे आप एक खुद ब्रांड बन या बना सकते हैं | सिंपल भाषा में समझाने कि कोशिश करता हूँ | आज जो पूरा विश्व में सर्विस उद्योग का इतना इजाफा हुआ है, वह हमारी परेशानी से ही प्रेरित होकर बनी है, घर पहुच सेवा, टैक्सी जो ऑटो के बराबर मूल्य पर मिलना, जैसे मोबाइल टैक्सी, क्योंकि व्यतिगत टैक्सी लेने से व्यय का भार अधिक पड़ता था | खाने के सामानों का उपलब्ध होना, अभी भी आप इधर उधर कुछ आईडिया खोजने के बजाय अपने आस पास के लोगों के बातों को बारीकी से सुने | बहुत बार आप चाय के तफरी में खड़े होते हैं, और सुनने को मिलता है कि काश ऐसा होता तो, या मुझे ये काम पसंद नहीं| बातों को अपने आंकलन कर लिया और उसके फलस्वरूप कार्य किया तब आपको एक उद्यमी बनने से कोई नहीं रोक सकता है | कोई भी कार्य में तुरंत सफलता नहीं मिलती, उसके सफल होने का बहुत लम्बे समय से तैयारी करना पड़ता है, ठीक वैसे ही कोई फिल्म आई और वह सुपर हिट हो गयी, तो फिल्म बनाने में क्या – क्या करना पड़ता है, या कितना समय लगता है | यह उस फील्ड में कार्य कर रहे लोग ही बता पाएंगे | आपको लोगों के परेशानी को ठीक करना है वही उद्योग होता है |
ब्रांड लोगो कि जरुरत और उसकी गुणवत्ता के अनुसार बनता है, न कि उसकी शिक्षा से ,कोई भी उपभोगकर्ता ये नहीं देखता कि इसको बनाने वाला कितना पढ़ा लिखा है | उसको सिर्फ उसकी जरुरत के हिसाब से अच्छी चीजों के मिलने से परवाह होता है | आप खुद से सोचों आपको जिस सामान कि जरुरत पड़ी और आप उसको खरीदने गए हैं, तब क्या दुकानदार से ये पूछते हो कि इसको बनाने वाला या बनवाने वाले का शिक्षा स्तर क्या है | डाक्टर के पास भी उसकी शिक्षा देख के नहीं बल्कि लोगों के बोलने से ही आप उनके पास इलाज कराने जाते हैं | इसलिए अगर आप कोई कार्य करते हैं, तो कोई कंपनी बनाने के बजाय उसको ब्रांड बनाना जरुरी है | क्योंकि उपभोक्ता खुद बोलेगा कि आपके ब्रांड कि सामान या सर्विसे दीजिये, चाहे मुझे कितना भी चार्ज करो |
शिक्षा मतलब बहुत से लोग आज ग्रेजुएट होकर शिक्षा का पूरा होना सोचते हैं, लेकिन सच्चाई ये हैं कि ये तो पहली क्लास थी मुख्य शिक्षा तो अब शुरू होनी है | क्योंकि आज जीवन जीने के लिए हमेशा कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं | जो आपने आज तक पढ़ा है, उसको अब असल जिंदगी में कैसे अमल करना चाहिए यही से शुरू होता है | सभी समस्याओं का निराकरण कही न कहीं है, आज डिजिटल ज़माने में इन्टरनेट में ही है | लेकिन आपको तय करना है कि आपको किस चीज कि जरुरत है उनके अनुरूप कार्य करना होगा | जैसे कि अगर आपके पास कुछ रूपये पैसे नहीं हैं तो तो अभी आप निवेश की जानकारी जुटा के क्या करेंगे ? सबसे पहले आपको कैसे पैसा कमाना है ? उसके बारे में जानकारी जुटाना और उस पर कार्य करने कि जरुरत है |
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समस्या ही उद्योग है ! Problem is the industry ! Samsya hi Udyog hai !4 thoughts on “”
Very nice
Thanx
Nice
Thanx