जिन्दगी में कई बार असफलता हाथ लगती है, हर तरह से, सभी के जीवन को हमेशा प्रभावित करती है | बार – बार कोशिश करने पर भी असफलताएं मिलती हैं | हर किसी के जीवन में अलग – अलग तरह से हो सकता है | किसी के जीवन में रिश्तों को लेकर, किसी के जीवन में करियर को लेकर, किसी के जीवन पैसों के नुकशान को लेकर तो किसी के जीवन में बिमारियों के घर को लेकर, यह परिस्थितियां जिंदगी में भूचाल लती है| लगने लगता है बहुत हो गया, अब इससे लड़ने का ताकत ही नहीं है, जो वापस खड़ा होने पर या बिगड़ी हुयी चीजों को सुधारने के लिए मजबूर कर दें | नकारात्मक सोच के अलावा मन में कुछ नहीं रहता| पूरी दुनिया हस्ता – मुस्कुराता चेहरा भले ही देखता है, लेकिन अन्दर से रोते रहता है | मन में हमेशा डर बना रहता है कि कहीं दुनिया को पता न चल जाये | अगर लोगों को पता चल गया तो लोग क्या कहेंगे ? क्या सोचेंगे ? जिसमे मैं फेल हो चूका हूँ शायद अब वापस नहीं पा पाउँगा, चाहे वह व्यवसाय , पैसे कि नुकसान, रिश्तों में दरार हो | अब ऐसा मन करता है कि कई बार जीने का मन नहीं करता | असफल होना हमेशा अपराध करने जैसे लगने लगता है | लेकिन यही तो जिन्दगी का खेल है, इससे मिले बिना, हम सफलता को प्राप्त नहीं कर सकते |
सबसे ज्यादा मायने रखता है उम्मीद | सभी अनुभवी लोगो क्यों बोले होंगे कि उम्मीद कि एक किरण ही काफी है | क्यों बोला गया होगा कि डूबता को तिनके कि सहारा काफी होता है | यही सबसे पहली चीज है जो कामयाबी कि ओर लेकर जाती है | कितनी भी कलि रात क्यों न हो लेकिन जब सूरज कि एक किरण पूरी आंध्र को मिटा जाता है | ठीक वैसे ही कितना बड़े समस्या क्यों न हो अगर उम्मीद है तो समस्याओं का समाधान भी है | असफल होना हार नहीं है उसको पकड़कर बैठे रहना हार है | लेकिन प्रयास करने से भले ही सफल न हुए लेकिन उम्मीद जिन्दा तो जाती है | बस उम्मीद को जिन्दा रखना है, असफलता भी एक असफल होते होते असफल हो जाएगी | हार , हारने के लिए बनी है , बस हमको उम्मीद लगाये रहना है |
इसी से संभंधित बॉलीवुड के महानायक श्री अमिताभ बच्चन जी भी एक कविता पढ़े हैं, जो उम्मीद को हमेशा जगाये रखता है :
मुट्ठी में कुछ सपने लेकर , भर कर जेबों में आशाएं
दिल में है अरमान यही , कुछ कर जाएं , कुछ कर जाएं।
सूरज सा तेज़ नहीं मुझमे , दीपक सा जलता देखोगे
सूरज सा तेज़ नहीं मुझमे , दीपक सा जलता देखोगे
अपनी हद रौशन करने से , तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे..
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं , जिसको नदियों ने सींचा है
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं , जिसको नदियों ने सींचा है
बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खिंचा है
मैं पत्थर पे लिखी इबारत हु , शीशे से कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला मैं नाम नहीं, तुम मुझको कब तक रोकोगे ,
तुम मुझको कब तक रोकोगे..
इस जग में जितने जुल्म नहीं उतने सहने की ताकत है
इस जग में जितने जुल्म नहीं उतने सहने की ताकत है
तानो के भी शोर में रहकर , सच कहने की आदत है
मैं सागर से भी गहरा हु ,मैं सागर से भी गहरा हु,
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे, चुन चुन के आगे बढूंगा मैं,
तुम मुझको कब तक रोकोगे,
तुम मुझको कब तक रोकोगे..
झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ , अब फिर झुकने का शौख नहीं
झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ , अब फिर झुकने का शौख नहीं
अपने ही हाथों रचा स्वयं , तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं
तुम हालातों की भट्टी में जब जब भी मुझको झांकोगे
तब तप कर सोना बनूँगा मैं, तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
प्रिय पाठक आपने हमारा लेख पढ़ा, उसके लिए आपको दिल से धन्यवाद् | अपनी असफलता को लेकर आप कितना चिंतिंत है, और सफल होने के लिए क्या कर रहे हैं, अगर आप साझा कर सकते हैं तो नीचे दिए गए कमेंट्स सेक्शन में जाकर जरुर देंवे | ताकि दूसरों को भी मोटिवेशन मिल सके |
उम्मीद पे दुनियाँ कायम है | Ummid Pe Duniya Kayam Hai5 thoughts on “”
Nice sir
Kash Fir milne ki vajah mil jaye… Mujhe bhi ummid hai sar ki wo mujhse milega ek din!!!
Best of Luck !!
A good article really 👍
thanx