जिंदगी का हर दौर खुबसूरत होता है | कहते हैं परिवर्तन संसार का नियम है, हर इन्सान की जिंदगी में उतार – चढाव का आना जाना लगा ही रहता है | हम जरुर कहते हैं कि ये मेंरे साथ ही ऐसा क्यों होता है किन्तु सच यही है कि हर किसी के जिंदगी में कभी सुख या कभी दुःख का परिक्रमा लगा ही रहता है | हर किसी ने जिंदगी कि परिभाषा अपने – अपने हिसाब से अलग – अलग देते हैं | लेकिन मेरा मानना तो यह है कि “जब आपने साँस लिया, और फिर सांस छोड़ा” मतलब हमने ऑक्सीजन लिया और कार्बन डाई ओक्साइड छोड़ा, बस इतना सा ही है ज़िदगी | मतलब जब तक सांसें हैं तब तक शरीर में जान है, जब सांस लेना-छोड़ना बंद हो गया तो फिर जिंदगी खत्म, क्या आप मेरी बातों से सहमत है|
जिन्दगी में अनेक पड़ाव आते हैं, स्कूल/ कालेज के शिक्षकों से भी बड़ा एक और शिक्षक होता है जिसको हम समय कहते हैं | जिसका हाथ थामे हम दिन प्रतिदिन जिंदगी में आगे बढ़ते चले जाते हैं, किसी से दुखी होते हैं या हमारे साथ प्राकृतिक कुछ मन परेशान करने वाली स्थिति आती है तब, हम कहते या सोचते हैं कि समय बताएगा | बचपन, मासूमियत और मौज मस्ती से भरा हुआ ये समय हस्ते खेलते कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता, सच मानों तो ये समय जिन्दगी का सबसे अच्छा समय होता है किसी भी तरह का मन में चिंताएं नहीं होती है | फिर युवावस्था आता है. जिसमे खुला आसमान और मन भी इन्द्रधनुषी रंगों सा होता है, लेकिन फीका नहीं पड़ने देता है | यह समय जिन्दगी का सबसे उर्जावान समय होता है, जिसमें कुछ भी कर गुजरने वाला जोश होता है | पल–पल में कितनी भी बड़ी चुनौती हो चुटकी में समाधान पाने या निकलने की क्षमता होता है | दिन प्रतिदिन कामयाबी मिलने के साथ साथ नयी जिम्मेदारियां भी आने लगती है, क्यों न वो महिला या पुरुष हो | जीवन में कई तरह का रोल अदा करना पड़ता हैं | प्रोफेसनल और निजी जिंदगी में बॉस, सहकर्मी, माता – पिता, पति-पत्नी, बच्चे सभी उनसे बहुत सारा उम्मीदें लगाये बैठे होते हैं | जिसमे वह यथा संभव प्रयास करता है, कि सभी कि उम्मीदों पर खरा उतरे जो अपने आप में बहुत इमोशनल चैलेन्ज होता है | उम्र के इस पड़ाव में इन्सान अपनों से कुछ उम्मीदें भी रखता है, अपनों से प्यार पाने और सबकी आवश्यकताओं को पूरा करने कि कसमकस में ये पड़ाव भी गुजर जाता है… |
कामयाबी के खास स्थान पर पहुचनें के बाद मन में बहुत सारा अधूरे सपनों को पूरा करने में बार – बार मन उछलने लगता है, कहते हैं जिन्दगी एक बार तो मिली है, फिर ये क्या उम्र के बंधन में रुकना इसको तो करना ही है| उम्र के तरह इंसानों कि उम्मीदे भी बदलता है | लेकिन जोश से जीने का जज्बा हमेशा बरकरार रहता है | श्री हरिवंश राय बच्चन जी भी अपने एक कविता में लिखे हैं कि “लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों कि हार नहीं होती” यह लाईन युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गया है, कि अगर मन में सच्ची लगन हो तो इन्सान को उसकी मंजिल मिल ही जाती है |
वृद्धावस्था में इंसान अपने आप को सबसे कमजोर और तिरस्कृत महसूस करने लगता है, अपनी सपनो को बाजु रखकर बच्चे और उनके बच्चो के परवरिस के बारे में सोचता है | लेकिन बच्चे नजर अंदाज करने लगते हैं, बच्चों के नजरिये से बुजुर्गों को पुरानी सोच वाले कह कर उनके सलाह को किनारे कर दिया जाता है | हमने पहले ही कहा है और लोगों का भी कहना है कि समय सबसे बड़ा शिक्षक होता है लेकिन यही अवस्था में वह अपनों बच्चों और उनके बच्चों का विशेष ध्यान रखते हुए खुद से किया चुक को धयान रखकर समझाते हुए उनको प्रगति के रस्ते में लाने के प्रयास में लगा रहता है और जो बच्चे बुजुर्गों के विचारों का सम्मान करते हैं वह यक़ीनन कामयाब भी होते हैं|
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क्या जिन्दगी खुबसूरत है… | Is Life Beautiful…3 thoughts on “”
Very nice article
thanx
Yes Life is beautiful