आज जब भी हम किसी सफल व्यक्ति को देखते हैं तो लगता है कि यह परफेक्ट इंसान है, हम उनको अपना आइडल मानने लगते हैं | उसके द्वारा किये गए या किये जा रहे कोई भी कार्य को देखते हैं, तो हम भी उसे करने कि कोशिश करते हैं, ताकि हम उनके जैसे बन सकें | आप हर मुस्कुराते हुए चेहरे को देखने के बाद, अगर यह अनुमान लगते हैं कि वह सबसे खुशनुमा या किस्मत वाला आदामी है, तो इसका मतलब ये कतई सत्य नहीं है कि उसके जीवन में कोई दुःख नहीं होगा या कभी दुःख नहीं आता होगा | ठीक उसी तरह हर सफल इंसान को जब आप देखते हैं तब आप यह नहीं सोच सकते हैं कि ये इंसान कभी गलती नहीं कर सकता या कभी गलती नहीं किया होगा | जबकि कोई भी इंसान सफल होता है तो केवल वह अपने अनुभव से होता है | अनुभव कैसे आता है जब आप गलती करते हैं | तो यह भी सत्य है कि बिना गलती किये कोई इंसान सफल नहीं हो सकता है | आज के लेख में हम समझने की कोशिश करेंगे कि इंसान अमूमन किस तरह की गलतियाँ करता है, और कौन सी गलती करना जरुरी है |
उससे पहले बता दूँ कि चाणक्य ने कहा है, कि जीवन यात्रा बहुत छोटी है, और आपको गलतियाँ नहीं करनी चाहिए अन्यथा आप कभी सफल नहीं हो सकते | उन्होंने बताया है कि आप हमेशा दूसरों कि गलतियों को देखकर सीखो और कार्य करो और मन में गांठ बाँध लो कि आपको गलतियां नहीं करनी है | उन्होंने ये क्यों कहा है? वो भी हम समझने की कोशिश करेंगे |
क्या कोई गलती करने से बच सकता है ? जवाब है हाँ बिलकुल वो गलती करने से बच सकता है लेकिन कुछ भी न करके, और यही सबसे बड़ी गलती है कि आप कुछ नहीं करें, यहीं से समस्याओं कि शुरुवात होती है | अगर आप कुछ नहीं करेंगे तो सफल या असफल कैसे होंगे, बल्कि आपके जीवन में और कठिनाइयाँ आएगी | आप बताइए क्या कोई मरने से बच सकता है ? हाँ !! जन्म नहीं लेंगे तब आप मरने से बच सकते हैं | यह कैसा सवाल है और कैसा जवाब , लेकिन यह भी सच है | सामान्य जीवन में भी लोग गलतियाँ करते हैं, लेकिन कुछ गलतियों के बारे में सबको मालूम होता है, कि ये तो होगा ही | जैसे पेन्सिल के पीछे में रबर (इरेजर) क्यों लगा होता है ? ताकि पेन्सिल से लिखने या कुछ बनाने में कोई गलती हुआ, तो उसको मिटा सकें | आज कल पूरी दुनिया डिजिटल हो गया है, सभी लोग मोबाइल या कंप्यूटर , लैपटॉप का उपयोग करते हैं | सबने देखा होगा कीबोर्ड में एक बटन होता है डिलीट, क्यों होता है ? ताकि गलती को मिटा सके | लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है की इरेज़र का इस्तमाल वही करता है जो वाकई में अपनी गलती सुधारना चाहता है, और गलती सुधारने केलिए ग़लती को मानना ज़रूरी है|
आम तौर पर जिन प्रकार की गलतियाँ करते है वो है – फारगेटफुल मतलब भुल्लक्कड़ प्रवित्ति कि गलतियाँ, ऐसी गलतियां हैं, जिससे हम न ज्यादा कुछ खास सीखते हैं, और न ही इससे ज्यादा कुछ नुकसान होता है | जैसे आप चार रोटियां बनाना चाहते हैं, आपने रोटी बनाने के लिए आटा भिगाया (गुंथे) गलती से ज्यादा पानी मिल गया, तो आप उसमे थोडा आटा और मिला दो, एकात रोटी ही न ज्यादा बनाने पड़ेंगे | दूसरा उदाहण आपके पास किसी का जो आपके परिचित, दोस्त या रिश्तेदार का फ़ोन आ गया, और आप उस समय आप व्यस्त हैं, आपने कहा कि थोड़ी देर में बात करोगे और आप भूल गए, तो क्या फर्क पड़ता है, अगर सामने वाले को ज्यादा अर्जेंट हो तो वो फोन कर लेंगे नहीं तो आप जब याद आया तब आप कर लीजिये |
विस्तार से कहूँ तो गलतियाँ सभी करते है, अगर आपको लगता है की आप गलतियाँ नहीं करते हैं तो कभी दूसरों से पूछ लीजिये – हम अपनी गलतियों से ही सीखते है | छोटी – छोटी गलतियां जो आपको सिखाती हैं | कई बार क्या होता है कि आपको कभी ना कहना नहीं आता या आप ना कहना नहीं सीखे हैं | जिसके कारण फंस सकते हैं | आप स्वम् अपने पुराने व्यतीत किये समय को याद करके अनुमान लगाइए | आपने भी ये गलतियाँ की होगी, और बाद में मन ही मन सोचे होंगे कि काश ना कह दिया होता | हम कोई नया काम करना चाहते है पर हमे वो काम अच्छे से नहीं आता तो हमें गलती कर-कर के सीखना होगा | आप गलतियाँ करेंगे तभी आपको अनुभव आयेगा और अनुभव के आधार पर ही आप सफल होंगे | जितने भी वैज्ञानिक हैं या थे, जिसने पहली बार कुछ बनाने की कोशिस की, वे सभी अंजाम तक पहुचने से पहले उस कार्य में फेल हुए, उनके लिए यह वो समय था जब उनको बताने वाला, समझाने वाला कोई नहीं था, क्योंकि कुछ नया और अलग कर रहे थे, लेकिन अन्तः उनको सफलताएं भी मिली तभी तो हमारे पास इतनी सारी आधुनिक चीज़ें है | इस तरह की गलतियाँ करना अच्छी बात है | लेकिन एक ही गलती को पुनः दोहरना बेवकूफी है, वो असफलता कि ओर धकेलता है |
उच्च जोखिम वाली गलती कभी नहीं करना चाहिए, इसमें सब कुछ दांव पर लग जाता हैं, बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है, जिसकी भरपाई करना मुश्किल हो | इसको करने से हमेशा बचना चाहिए क्योंकि यह गलती जीवन और मौत, जिंदगी के साथ–साथ जिन्दगी में जीवनयापन के अलावा आपका और आपके परिवार के प्रतिष्ठा के ऊपर प्रश्नवाचक चिन्ह बना देती है | व्यवसाय, वित्तीय, चरित्र जैसे अनेकों उदहारण हैं, ऐसे गलतियों में पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है | आप अपने ही परिवार के छोटे बड़े सदस्यों के नज़रों से ऐसे गिरते हैं कि उनका सामना करने में बहुत कठिनाई होती है | कुछ ऐसी स्थिति होती है जिसमे आपके अपने आपको माफ़ कर देते हैं, फिर भी आप अपने ही नजरों में ऐसे गिर जाते हैं, कि खुद की नजरों में उठने में बहुत समय लगता है कई बार तो अनेकों प्रयासों के बाद भी उठाना मुश्किल हो जाता है | वो डर जो आप उच्च जोखिम वाली गलती कर चुके होते हैं, बार-बार आपके सामने आता है | भले ही वो तमाचा न मारता हो, लेकिन वो वक़्त का तमाचा हमेशा आपको याद रहता है | सामना करना कई बार इतना मुश्किल होता है कि…… क्या बोलना चाह रहा हूँ शायद आप समझ गए होंगे | मैंने पहले चाणक्य ने जो कहा है उसका जिक्र किया था, जिसमे उन्होंने कहा है कि जिन्दगी बहुत छोटी है, हर ग़लती खुद करके सिखने के लिए, इसलिए दूसरों कि गलतियों से आपको सीखना होगा उसका सम्बन्ध उच्च जोखिम वाली गलती से है |
प्रिय आगंतुक आपने हमारा लेख पढ़ा, उसके लिए आपको दिल से धन्यवाद् | आपको कैसा लगा फीडबैक निचे दिए गए कमेंट्स सेक्शन में जाकर जरुर देंवे ताकि हमें अपना गुणवत्ता समझने में सहायता हो |
Benefits of learning from “MISTAKES” | बेनीफिट ऑफ लर्निंग फ्रॉम “मिस्टेक्स”14 thoughts on “”
Awesome sir 👌👌
Thanks and Glad you like our post to 🙂
Excellent Article
Thanks and Glad you like our post to 🙂
Really a very nice article 👍👌
Thanks and Glad you like our post to 🙂
Bahut hi shandar article hai sir.
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Aapne bahut hi badhiya post likha hai
thanx
Sahi hai
thanx
आपके लेख हमको बहुत पसंद आई |
बड़े अच्छे लगते हैं
मेरे फेसबुक में आओ न… meri aai di
Mahak Shree
thanks